उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी वारंट नहीं, हिरासत आदेश जारी कर सकता है: कलकत्ता हाईकोर्ट


कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम को आपराधिक न्यायालय की तरह गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, यह फोरम सिविल न्यायालय की तरह हिरासत आदेश (detention orders) जारी कर सकता है।

न्यायमूर्ति सुव्रा घोष की एकल पीठ ने यह फैसला हुगली जिले में एक ऑटोमोबाइल कंपनी के शाखा प्रबंधक से जुड़े विवाद में सुनाया। बुधवार को दिए गए इस निर्णय में न्यायालय ने कहा, “कानून उपभोक्ता फोरम को दंडादेश लागू करने हेतु गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार नहीं देता है।” अदालत ने जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

READ ALSO  हाईकोर्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन को ग़ैर-सदस्य को पानी देने से इनकार करने के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

यह निर्णय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 71 की व्याख्या पर आधारित है। साथ ही, हाईकोर्ट की समकोटि पीठ के एक पूर्ववर्ती निर्णय का हवाला भी दिया गया, जिसमें कहा गया था कि उपभोक्ता आयोग निष्पादन याचिका के अंतर्गत सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत न्यायार्थी को सिविल जेल में रखने का आदेश दे सकता है या उसकी संपत्ति की कुर्की और बिक्री कर आदेश का पालन करवा सकता है।

Video thumbnail


2013 में एक उपभोक्ता ने हुगली स्थित एक शोरूम से 7.78 लाख रुपये की लागत से एक ट्रैक्टर खरीदा था, जिसकी अधिकतर राशि फाइनेंस कंपनी के माध्यम से चुकाई गई थी। अंतिम किश्तें न चुकाने पर कंपनी ने ट्रैक्टर को जब्त कर उसकी बिक्री कर दी। उपभोक्ता ने 2018 में उपभोक्ता फोरम का रुख किया, जहां फोरम ने आदेश दिया कि शेष 25,716 रुपये का भुगतान करने पर ट्रैक्टर का पंजीकरण प्रमाणपत्र सौंपा जाए और ट्रैक्टर वापस किया जाए।

हालांकि, जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो दिसंबर 2019 में फोरम ने शाखा प्रबंधक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। प्रबंधक ने दावा किया कि न तो उन्हें मामले की जानकारी थी और न ही वे उसमें पक्षकार थे। उन्होंने अदालत में गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी, जिसके चलते हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि उपभोक्ता फोरम को केवल सिविल प्रकृति की कार्रवाई का ही अधिकार है।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट अधिकारी और कर्मचारी (सेवा और आचरण की शर्तें) नियम 1976 के नियम 8 की व्याख्या की


न्यायमूर्ति सुव्र घोष ने कहा, “उपभोक्ता फोरम की शक्ति सिविल आदेशों के प्रवर्तन तक सीमित है। आपराधिक प्रकृति की कार्रवाई जैसे कि गिरफ्तारी वारंट जारी करना, उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।”

यह निर्णय उपभोक्ता फोरमों की शक्तियों और सीमाओं को स्पष्ट करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रियाएं उचित कानूनी ढांचे के तहत ही संचालित हों।

READ ALSO  अधिनियम की धारा 24 ए के तहत अपराधों की कंपाउंडिंग के लिए सेबी की सहमति अनिवार्य नही
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles