सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 की स्नातक स्तर (UG) की मेरिट सूची में संशोधन करने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ (Consortium of NLUs) को दिया गया था।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह की खंडपीठ ने यह आदेश एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर नोटिस जारी करते हुए पारित किया, जो 23 अप्रैल 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा पारित निर्णय को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
CLAT-UG 2025 की परीक्षा 1 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी। इसके बाद प्रश्नपत्रों में त्रुटियों को लेकर कई शिकायतें सामने आई थीं। दिसंबर 2024 में, दिल्ली हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने परीक्षा के दो उत्तरों को गलत पाया और याचिकाकर्ताओं के परिणामों में संशोधन का निर्देश दिया।
इस आदेश को चुनौती देते हुए संघ ने दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष अपील की। 23 अप्रैल 2025 को, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने अपने निर्णय में यह पाया कि सेट B, C और D के प्रश्नपत्रों में चार प्रश्नों में त्रुटियाँ थीं। अदालत ने निर्देश दिया कि इन त्रुटिपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देने वाले उम्मीदवारों को अंक दिए जाएं और मेरिट सूची चार सप्ताह के भीतर संशोधित की जाए।
हालांकि, अदालत ने यह राहत A सेट वाले छात्रों को नहीं दी, यह कहते हुए कि इस सेट में कोई त्रुटि नहीं पाई गई।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका एक ऐसी उम्मीदवार द्वारा दाखिल की गई, जिन्होंने A सेट से परीक्षा दी थी और अखिल भारतीय रैंक 22 प्राप्त की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट का आदेश भेदभावपूर्ण है क्योंकि इससे त्रुटिपूर्ण सेट (B, C और D) के छात्रों को अतिरिक्त लाभ मिला, जबकि A सेट के छात्रों को कोई राहत नहीं दी गई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह निर्देश राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा में समान अवसर के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
पहले भी हुआ सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
फरवरी 2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था ताकि एकरूपता से इस विवाद का निपटारा हो सके।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई इस अंतरिम राहत के चलते फिलहाल CLAT-UG 2025 की वर्तमान मेरिट सूची यथावत बनी रहेगी। शीर्ष अदालत अब इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेगा।