संदेह उचित संदेह से परे सबूत की जगह नहीं ले सकता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश रवींद्र कुमार अग्रवाल की अगुवाई में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दुर्गेश पनिका की हत्या में शामिल कई व्यक्तियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। 20 अगस्त, 2024 को दिए गए न्यायालय के फैसले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य के महत्व और इस सिद्धांत पर जोर दिया गया कि “संदेह, चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो, उचित संदेह से परे सबूत की जगह नहीं ले सकता।”

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला दुर्गेश पनिका की हत्या के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसका शव 16 अगस्त, 2020 को हर्राटोला में एक मोटर पंप के पास मिला था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि हत्या पीड़ित की पत्नी कामता पनिका और उसके प्रेमी तीरथ लाल काशीपुरी सहित अन्य लोगों की साजिश का नतीजा थी। कथित तौर पर इसका मकसद तीरथ के साथ कामता के विवाहेतर संबंध से जुड़ा था, जिसके कारण उसके पति दुर्गेश के साथ तनाव पैदा हो गया था।

शामिल कानूनी मुद्दे

इस मामले में प्राथमिक कानूनी मुद्दा यह था कि क्या दुर्गेश पनिका की मौत हत्या थी और क्या परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपी हत्या के दोषी थे। ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302/34, 201/34 और 120बी के तहत दोषी ठहराया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

कोर्ट की टिप्पणियां और निर्णय

हाई कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों सहित साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस निष्कर्ष की पुष्टि की कि दुर्गेश की मौत हत्या थी और अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे आरोपी के अपराध को साबित करने वाले परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की एक श्रृंखला सफलतापूर्वक स्थापित की थी।

फैसले से मुख्य टिप्पणियां इस प्रकार हैं:

– कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के “पांच स्वर्णिम सिद्धांतों” पर प्रकाश डाला, इस बात पर जोर दिया कि साक्ष्यों की श्रृंखला पूरी होनी चाहिए और आरोपी के अपराध के अनुरूप होनी चाहिए।

– न्यायालय ने हत्या के हथियार (जैक रॉड) और खून से सने कपड़ों की बरामदगी जैसे साक्ष्यों की महत्ता पर ध्यान दिया, जो आरोपी को अपराध से जोड़ते हैं। – निर्णय में इस बात पर जोर दिया गया कि किसी आरोपी को केवल संदेह के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता, तथा यह दोहराया गया कि दोषसिद्धि के लिए उचित संदेह से परे सबूत आवश्यक हैं।

पक्ष और प्रतिनिधित्व

अपीलकर्ताओं में दिलीप सरिवान, महेंद्र उर्फ ​​गिरधारी पनिका, जय प्रकाश यादव, तीरथ लाल काशीपुरी, पवन सिंह मार्को, कामता पनिका और रितेश वर्मा शामिल थे। उनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता श्री अजय अयाची, श्री अमन ताम्रकार, श्री अविनाश चंद साहू, श्री योगेंद्र चतुर्वेदी, श्री प्रहलाद पांडा और श्री धीरेंद्र पांडे ने किया। राज्य का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री आर.एस. मरहास ने किया।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles