छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गायों की मौत पर लिया स्वतः संज्ञान, प्रमुख सचिव से मांगा व्यक्तिगत शपथ पत्र

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने गुरुवार को बिलासपुर जिले में लापरवाही, भूख और प्यास के कारण हुई कई गायों की मौत की एक समाचार रिपोर्ट पर सुओ मोटो (स्वतः संज्ञान) लिया है। एक खंडपीठ ने इसे प्राइमा फेसी (प्रथम दृष्टया) “गंभीर प्रशासनिक चूक” मानते हुए, छत्तीसगढ़ शासन के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में व्यक्तिगत शपथ पत्र (personal affidavit) दायर करने का निर्देश दिया है।

यह जनहित याचिका (WPPIL No. 95 of 2025), 23 अक्टूबर 2025 को हिंदी दैनिक ‘नवभारत’ में प्रकाशित एक खबर के आधार पर एक कार्यालय संदर्भ पर शुरू की गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

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हाईकोर्ट ने “बेलतरा व सुकलकारी बने कब्रगाह भूख-प्यास से तडपकर मर रही गाये” शीर्षक और “विडंबनाः गायों की मौत पर सवाल, वेटनरी विभाग की लापरवाही का आरोप” उप-शीर्षक वाली खबर के आधार पर सुओ-मोटो याचिका दर्ज की।

हाईकोर्ट के आदेश-पत्र के अनुसार, समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि “बिलासपुर जिले के मस्तुरी ब्लॉक के बेलतरा और सुकुलकारी क्षेत्रों में मवेशी लगातार मर रहे हैं।” निर्णय में उल्लेख किया गया है कि रिपोर्ट में आरोप है कि जिन गायों को अस्थायी रूप से रखा गया था, वे “उचित प्रबंधन, भोजन, पानी और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण मर रही हैं।”

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निर्णय में समाचार रिपोर्ट की सामग्री का और विवरण दिया गया है, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों के हवाले से दावा किया गया कि “बेलतरा में एक दर्जन से अधिक और सुकुलकारी में 04 गायों की मौत हो गई है।” रिपोर्ट में पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों पर “इससे अनजान” होने का आरोप लगाया गया और “निष्क्रियता और असंवेदनशीलता” के आरोपों को उजागर किया गया।

अदालती आदेश के अनुसार, रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के विशिष्ट आरोप भी शामिल थे कि बेलतरा में गायों को “बेलतरा के मिनी स्टेडियम के भीतर एक दलदली और कीचड़ भरे कमरे में रखा गया था।” ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मौतें कुप्रबंधन के कारण हुईं, क्योंकि “मरने वाले अधिकांश जानवर न तो बूढ़े थे और न ही पहले से बीमार थे।”

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निर्णय में यह भी उल्लेख किया गया कि समाचार रिपोर्ट में संयुक्त निदेशक, पशु चिकित्सा सेवाएं, बिलासपुर का पक्ष भी शामिल था, “जो कहते हैं कि उन्हें सुकुलकारी में गायों की मौत की शिकायतें मिली हैं, लेकिन उन्हें बेलतरा में मौतों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और विभाग मवेशियों की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है।”

कोर्ट की कार्यवाही और विश्लेषण

यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दिवाली की छुट्टियों के दौरान इस पर सुनवाई की। 23 अक्टूबर 2025 को हुई सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने राज्य/प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए शासकीय अधिवक्ता श्री अजीत सिंह की दलीलें सुनीं। श्री सिंह ने निवेदन किया कि “निर्देश प्राप्त करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए।”

समाचार रिपोर्ट की सामग्री की समीक्षा करने के बाद, हाईकोर्ट ने एक प्राइमा फेसी टिप्पणी की। खंडपीठ ने कहा: “प्रथम दृष्टया, उक्त समाचार रिपोर्ट पशु चिकित्सा विभाग और संबंधित स्थानीय अधिकारियों की ओर से गंभीर प्रशासनिक चूक को उजागर करती है, जिस पर राज्य प्रशासन को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।”

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कोर्ट का निर्णय

अपने निष्कर्षों के मद्देनजर, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक निर्देश जारी किया।

कोर्ट ने आदेश दिया: “उपरोक्त के मद्देनजर, पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के प्रमुख सचिव, अगली सुनवाई की तारीख से पहले उपरोक्त समाचार रिपोर्ट के संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर करें।”

मामले को अगली सुनवाई के लिए 27 अक्टूबर, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है।

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