तुर्की की एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं की दिग्गज कंपनी सेलेबी ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी वह याचिका वापस ले ली, जिसमें नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) द्वारा उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। यह कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद उत्पन्न विवाद का परिणाम थी।
न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनावाला की खंडपीठ ने सेलेबी के वकील चेतन कापाड़िया की दलील स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दी। याचिका में बीसीएएस के उस प्रशासनिक आदेश को निलंबित करने और निरस्त करने की मांग की गई थी, जिसके तहत कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई बार-बार टाल दी थी क्योंकि इसी तरह का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित था। पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने सेलेबी की एक अन्य सहायक कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें सुरक्षा मंजूरी रद्द किए जाने को चुनौती दी गई थी।

जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी की वह याचिका भी खारिज कर दी थी, जिसमें दिल्ली एयरपोर्ट पर उसके अनुबंध समाप्त करने और सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले के खिलाफ राहत मांगी गई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले सेलेबी को अंतरिम राहत देते हुए मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) को ग्राउंड और ब्रिज हैंडलिंग सेवाओं के लिए नए टेंडर को अंतिम रूप देने से रोका था। हालांकि, पिछले महीने अदालत ने यह राहत वापस ले ली और कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनज़र इसे जारी नहीं रखा जा सकता।
सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया, जिसमें तुर्की की मूल कंपनी की 59 प्रतिशत हिस्सेदारी है (सेलेबी नास एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जरिए), की सुरक्षा मंजूरी मई में राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से रद्द कर दी गई थी। यह कदम उस समय उठाया गया जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया, जिसके बाद भारत ने संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों की समीक्षा शुरू की थी।