बेल्जियम में हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की हालिया गिरफ्तारी के बाद, भारत में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक अन्य धोखाधड़ी मामले में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। चोकसी, जो पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल हैं, पर इस बार केनरा बैंक के नेतृत्व वाले बैंक समूह को ₹55.27 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
CBI के अनुसार, यह मामला उस वक्त और गंभीर हो गया जब चोकसी को 12 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया, जो भारत सरकार की प्रत्यर्पण प्रक्रिया का परिणाम था। इसके बाद एजेंसी ने बुधवार को विशेष सीबीआई अदालत में NBW की अर्जी दाखिल की ताकि केनरा बैंक मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके।
हालांकि, इस याचिका को प्रक्रियात्मक अड़चन का सामना करना पड़ा क्योंकि विशेष न्यायाधीश वी. पी. देसाई ने यह कहते हुए मामला मजिस्ट्रेट कोर्ट को भेज दिया कि CBI की विशेष अदालत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) के तहत केवल तभी अधिकार प्राप्त होता है जब मामले में कोई सार्वजनिक अधिकारी आरोपी हो। चूंकि इस मामले में केवल निजी व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है, इसलिए विशेष अदालत का अधिकार क्षेत्र नहीं बनता।
CBI का आरोप है कि केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा चोकसी की कंपनी बेज़ेल ज्वेलरी को क्रमशः ₹30 करोड़ और ₹25 करोड़ की कार्यशील पूंजी सुविधा प्रदान की गई थी, ताकि सोने और हीरों से जड़े आभूषणों का निर्माण व बिक्री की जा सके। लेकिन बेज़ेल ज्वेलरी ने कथित रूप से इन फंड्स का इस्तेमाल निर्धारित खातों के माध्यम से न कर धन का ग़लत तरीके से इस्तेमाल किया और बाद में ऋण चुकाने में विफल रही, जिससे बैंकों को बड़ा नुकसान हुआ।
अब यह मामला अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को सौंप दिया गया है, जिन्हें NBW याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं।