सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) द्वारा 17 सितंबर 2010 को जारी किया गया सर्कुलर संख्या 35/2010-Cus केवल स्पष्टीकरण देने वाला है और इसका उद्देश्य पहले से लागू अधिसूचनाओं को स्पष्ट करना था। अतः यह सर्कुलर पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा। इसके साथ ही, न्यायालय ने व्यापारी निर्यातक एम/एस सूरज इम्पेक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को 2008 से 1% ऑल इंडस्ट्री रेट (AIR) सीमा शुल्क ड्यूटी ड्रॉबैक का लाभ देने का आदेश दिया।
यह फैसला न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एम/एस सूरज इम्पेक्स (इंडिया) प्रा. लि. बनाम भारत संघ व अन्य वाद में सुनाया। इस निर्णय के माध्यम से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के दिनांक 17 नवम्बर 2014 के आदेश और 1 अप्रैल 2016 को पारित पुनर्विचार याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया गया।
पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता एम/एस सूरज इम्पेक्स (इंडिया) प्रा. लि. एक व्यापारी निर्यातक है, जो सोयाबीन मील (SBM) का निर्यात करता है, जो कस्टम टैरिफ अधिनियम, 1975 की अनुसूची 1 के अध्याय 23 के अंतर्गत आता है। वर्ष 2006 से 2008 तक अपीलकर्ता को 1% AIR ड्यूटी ड्रॉबैक का लाभ मिलता रहा था। लेकिन वर्ष 2008 में DGCEI इंदौर ने यह राय दी कि यदि किसी निर्यातक ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क नियम, 2002 के नियम 18 या 19(2) के तहत छूट का लाभ ले लिया है, तो वह AIR ड्यूटी ड्रॉबैक का पात्र नहीं होगा।
इसके परिणामस्वरूप अपीलकर्ता सहित कई निर्यातकों के ड्यूटी ड्रॉबैक रोके गए। इन निर्यातकों ने CBEC को प्रतिनिधित्व भेजा और यह स्पष्ट किया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क से प्राप्त छूट और सीमा शुल्क ड्यूटी ड्रॉबैक दो अलग-अलग घटक हैं। CBEC ने 17 सितंबर 2010 को सर्कुलर संख्या 35/2010-Cus जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क छूट प्राप्त करने के बावजूद 1% सीमा शुल्क ड्यूटी ड्रॉबैक दिया जाएगा। हालांकि, इस सर्कुलर को 20 सितंबर 2010 से लागू बताया गया।
अपीलकर्ता ने इस सर्कुलर को पूर्व प्रभाव से लागू करने की मांग की, जिसे विभाग ने अस्वीकार कर दिया। इसके विरुद्ध अपीलकर्ता ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके पश्चात पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई।
पक्षकारों के तर्क
अपीलकर्ता के तर्क:
वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने अपीलकर्ता की ओर से दलील दी कि सर्कुलर संख्या 35/2010-Cus महज स्पष्टिकरण देने वाला है और इसका उद्देश्य 2006 से 2010 तक की अधिसूचनाओं को एकरूपता से समझाना था। उन्होंने यह भी कहा कि:
- सभी अधिसूचनाओं की भाषा समान थी और वे यह स्पष्ट करती थीं कि 1% ड्यूटी ड्रॉबैक केवल सीमा शुल्क का हिस्सा है, न कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क का।
- यह सर्कुलर कोई नया अधिकार नहीं देता, बल्कि पूर्ववर्ती अधिकारों को स्पष्ट करता है।
- इस प्रकार के स्पष्टिकारी और लाभकारी सर्कुलरों को पूर्व प्रभाव से लागू माना जाना चाहिए, जैसा कि मायसोर इलेक्ट्रिकल्स बनाम कमिश्नर और CIT बनाम गोल्ड कॉइन हेल्थ फूड जैसे निर्णयों में कहा गया है।
प्रतिवादी के तर्क:
भारत सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि सर्कुलर में स्वयं यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यह 20 सितंबर 2010 से प्रभावी होगा। इसलिए इसे केवल Prospective (भविष्य प्रभाव से) माना जा सकता है। साथ ही, यह भी कहा गया कि पहले की अधिसूचनाओं के अनुसार, जिन्होंने केंद्रीय उत्पाद शुल्क से छूट का लाभ लिया है, उन्हें AIR ड्यूटी ड्रॉबैक का लाभ नहीं दिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण
न्यायालय ने यह विचार किया कि क्या यह सर्कुलर केवल स्पष्टिकारी है या कोई नया अधिकार देता है। 2006 से 2010 तक जारी सभी अधिसूचनाओं की तुलना करने के बाद न्यायालय ने यह पाया कि उनमें समान भाषा प्रयुक्त हुई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि CENVAT सुविधा लेने या न लेने के बावजूद 1% सीमा शुल्क ड्यूटी ड्रॉबैक का लाभ उपलब्ध था।
न्यायालय ने कहा:
“दिनांक 17.09.2010 का सर्कुलर स्वयं यह स्पष्ट करता है कि जिन विनिर्माताओं को सीमा शुल्क की वापसी नहीं मिली थी, उन्हें AIR ड्रॉबैक के माध्यम से यह दी जानी चाहिए… अतः विभाग द्वारा जारी इस प्रकार के निर्देश का प्रभाव केवल पूर्वव्यापी हो सकता है।”
इसके अतिरिक्त न्यायालय ने यह भी कहा कि यह सर्कुलर कोई नया अधिकार नहीं देता बल्कि केवल यह सुनिश्चित करता है कि पहले से दिए गए लाभ को ठीक से लागू किया जाए। सर्कुलर की भाषा, उद्देश्य और संदर्भ को देखते हुए, इसे केवल स्पष्टीकरण देने वाला माना गया।
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि हाईकोर्ट ने केवल सर्कुलर की तिथि पर आधारित होकर Prospective प्रभाव की व्याख्या की, जबकि सर्कुलर की प्रकृति और उद्देश्य को उचित रूप से नहीं समझा। न्यायालय ने कहा:
“अपीलकर्ता सोयाबीन मील के निर्यात पर वर्ष 2008 से लागू 1% ऑल इंडस्ट्री रेट (AIR) सीमा शुल्क ड्यूटी ड्रॉबैक का लाभ पाने का हकदार है, क्योंकि दिनांक 17.09.2010 का सर्कुलर संख्या 35/2010-Cus पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा…”
इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का दिनांक 17.11.2014 का आदेश और दिनांक 01.04.2016 को पारित पुनर्विचार याचिका खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया। अपील को स्वीकार कर लिया गया।
मामले का विवरण:
- न्यायालय: उच्चतम न्यायालय
- पीठ: न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा
- मामला: एम/एस सूरज इम्पेक्स (इंडिया) प्रा. लि. बनाम भारत संघ व अन्य
- मूल याचिका संख्या: सिविल अपील संख्या ___ / 2025 (SLP (C) Nos. 26178-79 of 2016 से उत्पन्न)