एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, कैनरा बैंक ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसने रिलायंस कम्युनिकेशंस — जो उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनी है — के ऋण खाते को “धोखाधड़ी” घोषित करने वाला अपना आदेश वापस ले लिया है।
बैंक की इस जानकारी के बाद न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने अंबानी द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि अब इसमें कुछ शेष नहीं रहा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि धोखाधड़ी वर्गीकरण को वापस लेने की जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को दी जाए।
विवादित ऋण ₹1,050 करोड़ का है, जो वर्ष 2017 में बैंक द्वारा दिया गया था। 8 नवंबर 2024 के आदेश में कैनरा बैंक ने आरोप लगाया था कि यह राशि समूह की एक अन्य कंपनी को हस्तांतरित कर संबंधित पक्षों की देनदारियां निपटाने में उपयोग की गई, और इसी आधार पर खाते को RBI के धोखाधड़ी पहचान और रिपोर्टिंग पर मास्टर सर्कुलर के तहत “धोखाधड़ी” घोषित किया गया था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने फरवरी 2025 में इस आदेश पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उसमें प्रक्रिया संबंधी खामियों पर सवाल उठाए गए थे। पीठ ने यह भी पूछा था कि क्या बैंक RBI के निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिनमें कहा गया है कि किसी भी प्रतिकूल वर्गीकरण से पहले उधारकर्ताओं को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।
अंबानी ने तर्क दिया था कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिए बिना ही उनके खाते को धोखाधड़ी घोषित कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि आदेश भले ही 8 नवंबर 2024 का था, लेकिन उन्हें इसकी सूचना 25 दिसंबर को मिली — जबकि इसी तरह के एक मामले में कोर्ट पहले ही ऐसे वर्गीकरण पर रोक लगा चुकी थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कैनरा बैंक ने RBI को यह वर्गीकरण 6 सितंबर 2024 को ही बता दिया था — यानी औपचारिक आदेश जारी होने से दो महीने पहले।
उक्त ऋण खाता रिलायंस कम्युनिकेशंस से संबंधित है, जो वर्तमान में दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है। अब जबकि बैंक ने धोखाधड़ी का टैग हटा लिया है, अदालत में यह मामला समाप्त हो गया है।