कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्कूल लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) 2025 के उम्मीदवारों को दिए जाने वाले ‘अनुभव अंक’ किस चरण में जोड़े जाएं, इस पर अभी फैसला नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित उस बड़े सवाल से जुड़ा है कि क्या ऐसे अंक दिए भी जा सकते हैं या नहीं।
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने यह आदेश तब पारित किया जब पक्षकारों के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि अनुभव अंक देने की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट 24 और 26 नवंबर को सुनवाई करने जा रहा है।
याचिका में दलील दी गई थी कि उम्मीदवारों के लिए निर्धारित 10 ‘अनुभव अंक’ सिर्फ अंतिम मेरिट लिस्ट तैयार करते समय जोड़े जाएं, न कि इंटरव्यू के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करते समय।
वहीं, पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) ने कहा कि ये अंक पात्र उम्मीदवारों की इंटरव्यू सूची बनाते समय ही शामिल किए जाने चाहिए।
कक्षाओं 11-12 के लिए SLST-2 लिखित परीक्षा सितंबर 2025 में आयोजित हुई थी। यह परीक्षा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2016 के पूरे भर्ती पैनल को बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण निरस्त किए जाने के बाद हुई थी।
इस महीने की शुरुआत में SSC ने लिखित परीक्षा के नतीजे प्रकाशित किए और इंटरव्यू कॉल जारी किए। इसके बाद नए उम्मीदवारों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। उनका आरोप था कि अब निष्कलंक घोषित किए गए 2016 के उम्मीदवारों को ‘अनुभव अंक’ देना उनके चयन के अवसरों को अनुचित रूप से कम कर रहा है।
कक्षाओं 9-10 की भर्ती परीक्षाओं के परिणाम अभी जारी नहीं हुए हैं, और माना जा रहा है कि इनमें भी समान अंक-वितरण पैटर्न लागू किया जा सकता है।
गुरुवार के आदेश में न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले से यह विचार कर रहा है कि अनुभव अंक दिए जा सकते हैं या नहीं, तब यह तय करना कि ये अंक किस चरण में जोड़े जाएं, उसी फैसले पर निर्भर करेगा।
अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो आगे की राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित सुनवाई तिथियों को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने इस मामले को 28 नवंबर को फिर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।




