कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले में कुड़मी समाज द्वारा 20 सितम्बर से प्रस्तावित रेल और सड़क रोको आंदोलन को अवैध और असंवैधानिक करार दिया। समाज यह आंदोलन अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर करना चाहता था।
न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि कोई नई परिस्थिति सामने नहीं आई है, जिससे अदालत को अपने पूर्ववर्ती निर्णय से अलग रुख अपनाना पड़े। अदालत ने सितंबर 2023 में भी इसी तरह के आंदोलन को असंवैधानिक ठहराया था।
पीठ ने राज्य सरकार को 19 सितम्बर 2023 के अपने आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। उस आदेश में कहा गया था कि:

- प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाए।
- जरुरत पड़ने पर पड़ोसी राज्यों—झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से सहयोग लिया जाए ताकि बाहरी प्रदर्शनकारियों का पुरुलिया में प्रवेश रोका जा सके।
- यदि आवश्यक हो तो केंद्रीय बलों की भी मांग की जा सकती है ताकि सामान्य जनजीवन बाधित न हो।
अदालत ने कुड़मी समाज को भी उसके पूर्व दिए गए आश्वासन की याद दिलाई कि अनिश्चितकालीन अवरोध से चिकित्सकीय और आपातकालीन सेवाएँ बाधित नहीं होंगी, न ही कानून-व्यवस्था या नागरिकों के मौलिक अधिकार प्रभावित होंगे।
कुड़मी समाज वर्ष 2022 से हर साल सितम्बर में इस तरह के आंदोलन कर रहा है और एसटी का दर्जा देने की मांग दोहराता है। रेल और सड़क रोको कार्यक्रम से अक्सर पुरुलिया और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक अव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित होता रहा है।
अदालत ने दोहराया कि नागरिकों को अपनी मांग रखने का अधिकार है, लेकिन ऐसा किसी भी स्थिति में सार्वजनिक जीवन ठप करने या मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करके नहीं किया जा सकता।