कलकत्ता हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: WBSSC 2025 भर्ती से 2016 के ‘दागी’ अभ्यर्थी होंगे बाहर

2016 के स्कूल भर्ती घोटाले के मद्देनजर चल रही कानूनी प्रक्रिया में एक अहम मोड़ पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) को निर्देश दिया कि 2016 की चयन प्रक्रिया में पहचाने गए सभी “दागी” अभ्यर्थियों को 2025 की नई भर्ती प्रक्रिया से बाहर किया जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2016 पैनल को भ्रष्टाचार के चलते रद्द किए जाने के बाद जारी किया गया है।

न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने 2025 भर्ती दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि किसी अयोग्य अभ्यर्थी ने पहले ही आवेदन किया है, तो उसे स्वतः निरस्त माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूरी चयन प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा — 31 दिसंबर 2025 — के भीतर पूरी करनी होगी।

WBSSC ने 30 मई से नई भर्ती के लिए अधिसूचनाएं जारी की थीं, जिनके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 15 जुलाई है। राज्य शिक्षा विभाग के अनुसार, केवल शिक्षकों के पदों के लिए ही अब तक 3.5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। यह नियुक्तियां उन 25,753 पदों को भरने के लिए की जा रही हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को निरस्त कर दिया था — इनमें कक्षा 9–12 के शिक्षक और ग्रुप C एवं D कर्मचारी शामिल हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने 2016 की स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) प्रक्रिया को “पूरी तरह से अपवित्र और अस्वीकार्य” बताया था और केवल उन्हीं शिक्षकों को अस्थायी रूप से कार्य जारी रखने की अनुमति दी थी, जो दागी नहीं थे। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा था कि दागी उम्मीदवार भविष्य में कभी भी भाग नहीं ले सकते, जिससे दिशा-निर्देशों को लेकर भ्रम और कानूनी विवाद उत्पन्न हुआ।

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हाई कोर्ट में दाखिल ताज़ा याचिकाओं में इस बात पर आपत्ति जताई गई थी कि भर्ती दिशा-निर्देशों में उन अयोग्य घोषित किए गए अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन की अनुमति दी गई और उनके पहले के अनुभव के लिए 10 बोनस अंक भी दिए गए। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना के खिलाफ है और भ्रष्टाचार को इनाम देने जैसा है।

WBSSC की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बंद्योपाध्याय ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से 2016 के अयोग्य अभ्यर्थियों पर भविष्य में आवेदन पर रोक नहीं लगाई है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें अवसर से वंचित करना एक ही अपराध के लिए दोहरी सजा देने जैसा होगा।

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याचिकाकर्ताओं के वकील फिरदौस शमीम ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार और SSC अब भी उन दागी उम्मीदवारों के साथ खड़ी हैं जिन्होंने अनुचित तरीके अपनाए। कोर्ट ने उनके तर्कों को उचित रूप से खारिज कर दिया है।”

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राज्य सरकार हमेशा उन लोगों के हितों की रक्षा करने का प्रयास करती रही है जिन्होंने इस दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण में अपनी नौकरियां गंवाई हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करती रहेगी और जहां संभव हो, कानूनी उपायों की तलाश करेगी।”

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