बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूएपीए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, याचिका खारिज

 बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्तमान स्वरूप में यूएपीए “संविधान सम्मत” है।

न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोकले की खंडपीठ ने 2021 में दायर अनिल बाबूराव बैले की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यूएपीए की वैधता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। बैले को 2020 में एल्गार परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नोटिस जारी किया था।

बैले की याचिका में यूएपीए के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की अब निलंबित धारा 124A (देशद्रोह) को भी असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 10 जुलाई 2020 को एनआईए द्वारा उन्हें जारी नोटिस को रद्द करने की अपील की थी।

Video thumbnail

याचिका में कहा गया कि यूएपीए की धाराएं कार्यपालिका को “अत्यधिक और निरंकुश अधिकार” देती हैं, जिससे वह किसी भी व्यक्ति या संगठन को “गैरकानूनी” या “आतंकवादी” घोषित कर सकती है, जबकि कानून में इन शब्दों की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।

बैले ने यह भी तर्क दिया कि 2019 में यूएपीए में किया गया संशोधन—जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 2001 के प्रस्ताव को अपनाने के लिए किया गया था—सरकार को भारतीय नागरिकों को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है, जो कि असंवैधानिक है।

याचिका में यह भी कहा गया कि संविधान कार्यपालिका को इस प्रकार का “कुल अधिकार” नहीं देता और संसद भी ऐसे blanket powers प्रदान नहीं कर सकती।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यूएपीए राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा के उद्देश्य को पूरा करता है और इसमें कोई संवैधानिक दोष नहीं है।

READ ALSO  डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए एसआईटी का गठन: दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles