बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक निर्णय की पुष्टि की है कि दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति हाउसिंग सोसाइटियों की प्रबंध समिति के सदस्य बनने के लिए अयोग्य हैं। यह निर्णय एक ऐसे व्यक्ति के मामले में बरकरार रखा गया, जिसे विभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने उसके तीन बच्चे होने के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया था। यह मामला चारकोप (कांदिवली) में एकता नगर सहकारी आवास के निवासी से संबंधित है, जिसे पिछले साल समिति के लिए चुना गया था।
उसके खिलाफ दो सोसायटी सदस्यों ने उसके तीन बच्चों के कारण पश्चिमी उपनगर के उप रजिस्ट्रार के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष उसकी अपील सफल नहीं होने के बाद, उसने मामले को हाईकोर्ट में ले जाया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम (एमसीएस अधिनियम) की जिस धारा के तहत उसे अयोग्य घोषित किया गया था, वह अधिनियम से छूट प्राप्त थी। उसने दावा किया कि तीसरा बच्चा उसका जैविक बच्चा नहीं था, बल्कि उसे शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उसके घर लाया गया था।
शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उदय वरुंजेकर ने कहा कि रजिस्ट्रार का आदेश कानूनी दायरे में है और इसमें कोई खामी नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि समिति के सदस्य को अयोग्य घोषित करने का निर्णय सही था और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
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मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे ने माना कि एमसीएस अधिनियम 1960 में 2019 के संशोधन द्वारा पेश किए गए छोटे परिवार के मानदंड से संबंधित नियम यहां लागू होते हैं। अधिनियम की धारा 154-बी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे होने पर व्यक्ति स्वतः ही अयोग्य हो जाता है। न्यायाधीश ने रजिस्ट्रार के आदेश में कोई खामी नहीं पाई और कहा कि संबंधित व्यक्ति तीसरे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहा।