सहकारी आवास सोसाइटियों (Cooperative Housing Societies) के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुणे स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी की पूरी मैनेजिंग कमेटी को 5 साल के लिए अयोग्य (Disqualify) घोषित करने के आदेश को सही ठहराया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रार के विशिष्ट आदेशों के बावजूद सदस्यों को मांगी गई जानकारी न देना गंभीर कदाचार है और ऐसे सदस्य ‘विश्वास के पद’ पर बने रहने के योग्य नहीं हैं।
जस्टिस अमित बोरकर की एकल पीठ ने पुणे के वडगांव शेरी स्थित ब्रह्मा सनसिटी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी की मैनेजिंग कमेटी के 11 सदस्यों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। इन सदस्यों ने पुणे के सहकारी समितियों के जिला उप-रजिस्ट्रार (DDR) द्वारा मई 2023 में पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पूरी कमेटी को भंग कर प्रशासक (Administrator) नियुक्त कर दिया गया था। संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने भी DDR के आदेश की पुष्टि कर दी थी, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था।
इस विवाद की जड़ में सूचना का अधिकार था। सोसाइटी के तीन सदस्यों, जिनमें राजीव गुप्ता भी शामिल थे, ने मैनेजिंग कमेटी की बैठकों के मिनट्स (कार्यवृत्त) और अन्य दस्तावेजों की मांग की थी। 18 जनवरी 2023 से लगातार अनुरोध करने और रिमाइंडर भेजने के बावजूद, कमेटी ने उन्हें जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
कमेटी के इस रवैये से परेशान होकर सदस्यों ने जिला उप-रजिस्ट्रार (DDR) का दरवाजा खटखटाया। उनकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, DDR ने अप्रैल 2023 में मैनेजिंग कमेटी को आदेश दिया कि वे निर्धारित शुल्क लेकर शिकायतकर्ताओं को मांगे गए दस्तावेज मुहैया कराएं।
हालांकि, जब कमेटी ने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो DDR ने मई 2023 में कड़ा कदम उठाते हुए कमेटी के सदस्यों को 5 साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया और सोसाइटी का कामकाज देखने के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर दिया।
हाईकोर्ट में अपनी अयोग्यता को चुनौती देते हुए कमेटी सदस्यों ने तकनीकी आधार पर बचाव की कोशिश की। उनका तर्क था कि दस्तावेजों को उपलब्ध कराने की उनकी कानूनी जिम्मेदारी 10 मई 2023 से शुरू हुई, जब सदस्यों ने फोटोकॉपी के लिए आवश्यक 370 रुपये का शुल्क जमा किया।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि शुल्क जमा होने के मात्र दो दिनों के भीतर उन्होंने जानकारी उपलब्ध करा दी थी, इसलिए उनकी ओर से कोई जानबूझकर देरी नहीं की गई थी और अयोग्यता का आदेश अनुचित है।
जस्टिस अमित बोरकर ने याचिकाकर्ताओं की तकनीकी दलीलों को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने घटनाक्रम की तारीखों पर गौर करते हुए कहा कि सदस्य जनवरी 2023 से जानकारी मांग रहे थे और उन्होंने आवश्यक शुल्क देने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन कमेटी ने उनकी अनदेखी की।
कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं:
- अस्पष्ट देरी: पीठ ने कहा कि जनवरी से मई तक “लंबी और स्पष्टीकरण रहित देरी” हुई है। कमेटी ने न केवल सदस्यों के शुरुआती अनुरोधों को अनसुना किया, बल्कि 12 अप्रैल 2023 के DDR के स्पष्ट आदेश का भी पालन नहीं किया।
- दबाव में पालन: कोर्ट ने नोट किया कि रजिस्ट्रार द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद ही 12 मई को आंशिक जानकारी दी गई।
जस्टिस बोरकर ने कमेटी के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा, “तारीखें खुद गवाही दे रही हैं।”
हाईकोर्ट ने मैनेजिंग कमेटी की भूमिका को परिभाषित करते हुए कहा कि एक सहकारी आवास सोसाइटी अपनी कमेटी के माध्यम से कार्य करती है। कमेटी के सदस्य “विश्वास के पद” (Position of Trust) पर होते हैं क्योंकि वे सोसाइटी के पैसे, संपत्ति और दिन-प्रतिदिन के मामलों को संभालते हैं।
महाराष्ट्र सहकारी समिति अधिनियम की धारा 154B-8 का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा कि जब कोई सदस्य दस्तावेजों को छिपाता है या किसी सदस्य के सूचना पाने के कानूनी अधिकार को रोकता है, तो वह इस विश्वास को तोड़ता है।
कोर्ट ने कहा, “कानून ऐसे व्यक्ति को कमेटी में बने रहने के लिए अयोग्य मानता है,” और पूरी कमेटी की अयोग्यता को उचित ठहराया।
याचिका खारिज करते हुए, हाईकोर्ट ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि कमेटी के सदस्यों को पहले ही सोसाइटी को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा चुका है और उनके खिलाफ धारा 88 के तहत वसूली प्रमाण पत्र (Recovery Certificate) जारी किया गया है।
इस प्रकार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जिला उप-रजिस्ट्रार के मई 2023 के आदेश को बरकरार रखा।

