स्कूल और कॉलेजों के छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों के बाहर नशीले पदार्थों, सिगरेट और ई-सिगरेट की धड़ल्ले से हो रही बिक्री पर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स का स्वतः संज्ञान लिया है।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति वाई. जी. खोब्रागड़े की खंडपीठ ने 20 जून को सुनवाई के दौरान कहा कि समाचार रिपोर्टों की सामग्री “चिंताजनक” है और यह दर्शाती है कि प्रतिबंधित और नशे की लत पैदा करने वाले पदार्थों को बेचने वाले लोग जानबूझकर कम उम्र के छात्रों को निशाना बना रहे हैं।
पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा, “कम उम्र के प्रभावशाली छात्र इन नशीले पदार्थों और सिगरेट की ओर आकर्षित हो जाते हैं, जिससे वे लत और शारीरिक बर्बादी की दिशा में बढ़ जाते हैं।”

इस विषय में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अदालत ने छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस तरह की अवैध बिक्री पर तत्काल और ईमानदारीपूर्वक कार्रवाई करे। अदालत ने कहा, “पुलिस को अपने कर्तव्य की सच्ची भावना में कार्य करना चाहिए ताकि देश का युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में न आए।”
दीर्घकालिक संस्थागत कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी. आर. कतनेश्वरकर को न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया और उनसे इस मुद्दे पर एक विधिवत जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने कहा कि इस PIL के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को विस्तृत और बाध्यकारी निर्देश जारी किए जा सकेंगे।