बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की कथित एनकाउंटर में हुई मौत की जांच कर रही अपराध शाखा की विशेष जांच टीम (SIT) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ अब तक FIR दर्ज न किए जाने को लेकर गंभीर चिंता जताई और इसे “बेहद अफसोसनाक स्थिति” बताया।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति निला गोकले की खंडपीठ ने SIT की धीमी प्रगति पर असंतोष जताते हुए संकेत दिया कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो अदालत अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकती है। इस पर राज्य की ओर से पेश हुए लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि शनिवार तक FIR दर्ज कर ली जाएगी। इस आश्वासन के बाद फिलहाल कोर्ट ने सख्त कार्रवाई टाल दी।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब ठाणे जिले के बदलापुर में दो नर्सरी छात्राओं से यौन शोषण के आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सितंबर 2024 को एक पुलिस वैन में गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस ने दावा किया था कि शिंदे ने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनकर गोली चलाई, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली मारी। लेकिन शिंदे के परिवार ने इसे “फर्जी एनकाउंटर” करार देते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की थी।
शिंदे के माता-पिता की याचिका पर मजिस्ट्रेटी जांच कराई गई, जिसमें प्रारंभिक सबूतों के आधार पर एनकाउंटर को संदिग्ध पाया गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल को अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त लखमी गौतम को SIT गठित कर जांच शुरू करने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
पिछले सप्ताह हाईकोर्ट ने राज्य की आपराधिक जांच विभाग (CID) की भी तीखी आलोचना की थी, क्योंकि उसने SIT को केस से संबंधित दस्तावेज देने में देरी की। कोर्ट के आदेश के बाद 25 अप्रैल को CID ने दस्तावेज SIT को सौंप दिए।
बुधवार को जब अदालत को बताया गया कि अब तक FIR दर्ज नहीं हुई है, तो पीठ ने सख्त नाराजगी जताई। अदालत ने टिप्पणी की, “यह एक लाश है, अप्राकृतिक मौत है — FIR दर्ज करने के लिए और क्या खुलासा चाहिए?” कोर्ट ने पुलिस को न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास बनाए रखने का दायित्व भी याद दिलाया।