बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह शिक्षकों की भर्ती के लिए लागू Pavitra Portal प्रणाली को सभी शैक्षणिक संस्थानों में पूर्ण रूप से कार्यशील और उपलब्ध कराने के लिए एक “फूल-प्रूफ मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)” तैयार करे। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी संस्था को यह कहकर निजी भर्ती करने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि पोर्टल काम नहीं कर रहा या उन्हें लॉगिन आईडी नहीं दी गई।
न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की खंडपीठ ने 16 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा कि राज्य में कई शिक्षण संस्थान Pavitra Portal प्रणाली को दरकिनार कर निजी तौर पर भर्ती प्रक्रिया चला रहे हैं, जो अस्वीकार्य है।
अदालत ने कहा, “Pavitra Portal भर्ती प्रणाली का सख्ती और अनुशासनपूर्वक पालन किया जाना आवश्यक है।”
पीठ ने राज्य के शिक्षण और खेल विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वह कम से कम तीन सदस्यों की उच्च स्तरीय समिति गठित करें, जो राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण करे और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
रिपोर्ट के आधार पर सरकार को ऐसे संस्थानों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा गया है जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि हर संस्थान को Pavitra Portal की लॉगिन आईडी उपलब्ध हो और पोर्टल के माध्यम से अधिशेष (surplus) शिक्षकों की सूची लगातार अपडेट की जाती रहे।
यह SOP मार्च 2026 तक तैयार कर ली जानी चाहिए।
पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उसने कई ऐसे मामलों का सामना किया है, जहां शिक्षा अधिकारी अधिशेष शिक्षकों की सूची उपलब्ध नहीं कराते, जिसके कारण संस्थान निजी नियुक्तियां कर लेते हैं।
अदालत ने कहा, “हमने ऐसी गिरती हुई स्थिति की अपेक्षा नहीं की थी। राज्य सरकार को हर शिक्षा अधिकारी की जवाबदेही तय करनी चाहिए और इस मुद्दे से सख्ती से निपटना चाहिए।”
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जब एक पारदर्शी प्रणाली मौजूद है, तब भी यदि संस्थानों को निजी भर्ती की अनुमति दी जाती है तो इससे Pavitra Portal का उद्देश्य “व्यर्थ” हो जाएगा।
यह आदेश रायगढ़ जिले के सुधागढ़ एजुकेशन सोसायटी और कुछ शिक्षकों की याचिकाओं पर पारित किया गया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी शिक्षक सेवक (Shikshan Sevak) नियुक्ति को स्वीकृति न दिए जाने के निर्णय को चुनौती दी थी।
संस्थान का कहना था कि 2022 में भर्ती उस समय की गई जब Pavitra Portal सक्रिय नहीं था।
वहीं, सरकार ने कहा कि पोर्टल चालू था और संबंधित संस्था को लॉगिन आईडी आवंटित की गई थी, लेकिन उसने निजी भर्ती कर ली।
राज्य सरकार ने यह भी बताया कि 2017 से सभी निजी शिक्षण संस्थानों को Pavitra Portal के माध्यम से ही भर्ती करनी होती है, लेकिन याचिकाकर्ता संस्था ने आठ वर्षों में कभी इस प्रणाली का उपयोग नहीं किया।
अदालत ने पाया कि संस्था का यह दावा गलत है कि पोर्टल काम नहीं कर रहा था, क्योंकि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि उन्हें लॉगिन आईडी दी गई थी।
अदालत ने कहा, “जब Pavitra Portal सक्रिय था और लॉगिन आईडी भी उपलब्ध थी, तब संस्था को निजी भर्ती करने का कोई अधिकार नहीं था।”




