स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट के उपयोग न करने के निर्णय पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग (SEC) को नोटिस जारी किया है, जिसमें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट (VVPAT) मशीनों के उपयोग न करने के उसके निर्णय को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग से अगले सप्ताह तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

यह याचिका कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुडाधे ने अधिवक्ता पवन दहत और निहाल सिंह राठौड़ के माध्यम से दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए वीवीपैट मशीनों का उपयोग आवश्यक है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी, “मतदान का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि उसका मत सही ढंग से दर्ज हुआ है या नहीं।” उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि या तो चुनाव आयोग को बैलेट पेपर से चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए या फिर बिना वीवीपैट के चुनाव कराने के उसके निर्णय को रद्द किया जाए।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2013 के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए वीवीपैट का उपयोग “अत्यावश्यक तत्व” है। याचिका में कहा गया है, “वीवीपैट के उपयोग के बिना इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVMs) अविश्वसनीय हो जाती हैं, क्योंकि यह सुनिश्चित करने का कोई अन्य तरीका नहीं होता कि डाला गया मत सही रूप से दर्ज हुआ है या नहीं।”

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग “अपारदर्शी और अविश्वसनीय प्रणाली अपनाने पर आमादा है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर आंच आएगी।” उन्होंने कहा कि अगर वीवीपैट मशीनों की कमी है तो चुनाव बैलेट पेपर से भी कराए जा सकते हैं, क्योंकि चुनाव अधिनियम में ईवीएम से चुनाव कराने की कोई अनिवार्यता नहीं है।

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महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव जनवरी 2026 तक संपन्न होने हैं। वहीं, राज्य चुनाव आयोग का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वीवीपैट के उपयोग का कोई प्रावधान कानून या नियमों में नहीं है।

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