एक महत्वपूर्ण न्यायिक घटनाक्रम में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के जे एम रोड पर 2012 में हुए कम तीव्रता वाले धमाकों में शामिल मुनीब मेमन को जमानत दे दी है। शुक्रवार को अदालत का यह फैसला इस मामले की विशेषता रही लंबी अवधि तक चली सुनवाई से पहले की हिरासत और प्रक्रियागत देरी के मद्देनजर आया है।
मेमन, जो मुकदमे की प्रतीक्षा में हिरासत में है, की जमानत याचिका पिछले फरवरी में उसी अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसने उस समय निचली अदालत को कार्यवाही में तेजी लाने और दिसंबर 2023 तक मुकदमा पूरा करने का निर्देश दिया था। हालांकि, समय सीमा बीत जाने के बाद भी सुनवाई अधूरी रहने के कारण मेमन ने एक बार फिर हाई कोर्ट से राहत मांगी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की अगुवाई वाली खंडपीठ ने मेमन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि मुकदमे से पहले उसकी हिरासत की अवधि अनुचित है और यह निर्णय लेने का प्राथमिक कारण है। यह फैसला मामले की न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसमें 1 अगस्त, 2012 को हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों से जुड़ी नौ गिरफ्तारियाँ शामिल हैं।
2012 की घटना में चार समकालिक विस्फोट हुए थे, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति घायल हो गया था और व्यापक दहशत फैल गई थी। दो अन्य स्थानों पर लगाए गए अतिरिक्त उपकरणों को अधिकारियों द्वारा सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया था। पुलिस जांच ने हमलों को आतंकवादी समूह इंडियन मुजाहिदीन से जोड़ा है।