एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: हाई कोर्ट ने कार्यकर्ता महेश राउत को जमानत दी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को एल्गार परिषद माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता महेश राउत को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने गुण-दोष के आधार पर जमानत की मांग करने वाली राउत की याचिका स्वीकार कर ली।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अदालत से अपने आदेश पर दो सप्ताह के लिए रोक लगाने की मांग की ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सके। इसके बाद पीठ ने अपने आदेश के क्रियान्वयन पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

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राउत को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।

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उन्होंने जमानत की मांग करते हुए 2022 में उच्च न्यायालय का रुख किया था और विशेष एनआईए अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी।

राउत ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी हिरासत अनुचित थी और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ थी।

एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज आरोपी को संवैधानिक आधार पर जमानत देना उचित नहीं है।

इस मामले में 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से पांच फिलहाल जमानत पर हैं।

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विद्वान-कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे, वकील सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को नियमित जमानत दी गई है, जबकि कवि वरवर राव वर्तमान में स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर बाहर हैं।

एक अन्य आरोपी, कार्यकर्ता गौतम नवलखा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार घर में नजरबंद हैं।

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन से संबंधित है, जिसे पुणे पुलिस के अनुसार माओवादियों द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

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पुलिस ने आरोप लगाया था कि वहां दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन पुणे में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा हुई।

बाद में मामले की जांच एनआईए ने की।

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