बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज कर दी, यह मानते हुए कि धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों को लेकर राज्य सरकार ने 2016 के निर्देशों के अनुपालन में “ठोस और ईमानदार प्रयास” किए हैं।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ सामाजिक कार्यकर्ता संतोष पचलाग द्वारा 2018 में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने हाईकोर्ट के अगस्त 2016 के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण नियमों के उल्लंघन पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला द्वारा दाखिल एक हलफनामे का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अप्रैल 2024 तक राज्य में 2,812 लाउडस्पीकर धार्मिक स्थलों पर उपयोग में थे। इनमें से 343 को हटाया गया, 831 को लाइसेंस और अनुमति दी गई, जबकि 767 स्थलों को निर्धारित ध्वनि सीमा का उल्लंघन न करने की चेतावनी देते हुए नोटिस भेजे गए और 19 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।

राज्य की ओर से पेश सरकारी वकील नेहा भिड़े ने कोर्ट को बताया कि इस कार्रवाई की निगरानी के लिए एक आईजी स्तर के अधिकारी को नोडल अफसर नियुक्त किया गया है।
कोर्ट ने कहा, “यह स्पष्ट है कि प्रशासन ने अदालत के आदेशों का काफी हद तक पालन किया है। किसी भी तरह की जानबूझकर अवहेलना का मामला नहीं बनता क्योंकि अधिकारियों ने आदेश का पालन करने के लिए ईमानदार प्रयास किए हैं।”
इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका को खारिज कर दिया।