बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज की, कहा – आरोपी दोबारा अपराध कर सकता है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 34 वर्षीय व्यक्ति की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है, जिस पर अपनी सहकर्मी के साथ बलात्कार करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि आरोपी पहले से ही प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) एक्ट के एक मामले में ज़मानत पर था और ऐसे हालात में यह आशंका है कि वह दोबारा अपराध कर सकता है।

न्यायमूर्ति नीला गोखले ने 19 सितम्बर को दिए आदेश में कहा कि आरोपी की प्रवृत्ति को देखते हुए उसके दोबारा ऐसे कृत्य करने की आशंका है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि आरोपी पर दर्ज पुराने आपराधिक मामले में भी गंभीर आरोप लगे थे। आरोपी, विवाहित होने के बावजूद, एक नाबालिग लड़की के साथ भाग गया था और उससे शादी का वादा कर जबरन शारीरिक संबंध बनाए थे। उस नाबालिग ने बाद में आत्महत्या कर ली थी और उस मामले का ट्रायल अभी लंबित है।

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नई शिकायत वानराई पुलिस स्टेशन में 20 फरवरी 2024 को दर्ज कराई गई थी। 41 वर्षीय महिला सहकर्मी ने आरोप लगाया कि 18 फरवरी को उसने कुछ साथियों को घर पर पार्टी के लिए बुलाया था। केवल आरोपी और एक महिला सहकर्मी ही पहुंचे।

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रात करीब 1 बजे महिला सहकर्मी के चले जाने के बाद शिकायतकर्ता ने आरोपी से भी जाने को कहा। लेकिन वह वहीं रुका और बहाने से उसके शयनकक्ष में घुसकर दो बार बलात्कार किया। महिला ने बताया कि आरोपी ने उससे कहा कि वह उससे प्यार करता है और उसे गर्भवती कर देगा ताकि वह उससे शादी करने के लिए मजबूर हो जाए।

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आरोपी ने ज़मानत याचिका में दावा किया कि दोनों के बीच संबंध सहमति से थे और महिला ने किसी अन्य व्यक्ति के कहने पर शिकायत दर्ज कराई। उसने यह भी कहा कि उसकी गिरफ्तारी के समय उसे लिखित में कारण नहीं बताया गया, जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का उल्लंघन है।

वहीं अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि पीड़िता और आरोपी के बीच कोई घनिष्ठ संबंध नहीं था और मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर नौ चोटों और कई निशानों की पुष्टि हुई है। अभियोजन ने यह भी बताया कि 2020 में आरोपी पर POCSO के तहत गंभीर मामला दर्ज हुआ था, जिसमें पीड़िता ने आत्महत्या कर ली थी।

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ज़मानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति गोखले ने कहा: “यह मानने का कोई कारण नहीं है कि यह कृत्य सहमति से हुआ। अपराध का स्वरूप और गंभीरता अत्यंत गंभीर है।” अदालत ने यह भी दर्ज किया कि केस डायरी से स्पष्ट है कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार बताए गए थे और उसके पिता को भी सूचित किया गया था।

ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में रहेगा और मुकदमे की सुनवाई जारी रहेगी।

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