पुलिस तंत्र की पवित्रता पर कड़ा संदेश देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पूर्व बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी। गायकवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने पिछले वर्ष उल्हासनगर के एक पुलिस स्टेशन में शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता महेश गायकवाड़ पर गोली चलाई थी। अदालत ने इस कृत्य को “चौंकाने वाला” और “सभ्य समाज में अस्वीकार्य” बताया।
जस्टिस अमित बोरकर ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह महज गोली चलाने की घटना नहीं थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, जब आरोपी ने देखा कि पीड़ित अब भी जीवित है, तो वह उसकी छाती पर बैठ गए और रिवॉल्वर के बट से उसकी पिटाई की। न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “यदि यह घटना सही पाई जाती है, तो यह न केवल हत्या के इरादे को दर्शाती है, बल्कि आरोपी की यह सुनिश्चित करने की दृढ़ इच्छाशक्ति को भी दर्शाती है कि परिणाम घातक हो, चाहे स्थान कोई भी हो और पुलिस की मौजूदगी भी क्यों न हो।”
अदालत ने कहा कि पुलिस स्टेशन के भीतर हिंसा की कोई भी घटना कानून के शासन की नींव पर हमला है। “पुलिस थाना कोई रणभूमि नहीं है, और एक आम नागरिक—विशेष रूप से पूर्व विधायक—से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह हथियार लेकर वहां जाए, जब तक कि उसका इस्तेमाल करने का इरादा न हो,” कोर्ट ने कहा।

जस्टिस बोरकर ने कहा कि इस तरह की घटनाएं न्याय प्रणाली में आमजन का भरोसा कमजोर करती हैं और उन लोगों को बढ़ावा देती हैं जो राजनीतिक प्रभाव या हिंसा के जरिए कानून को ताक पर रख सकते हैं। “यह भय और अराजकता का वातावरण पैदा करता है और गलत संदेश देता है कि राजनीतिक शक्ति या गुटीय हिंसा के सामने पुलिस तंत्र भी असहाय हो सकता है।”
अदालत ने गायकवाड़ के बॉडीगार्ड हर्षल केने और दो अन्य सहयोगियों—कुणाल दिलीप पाटिल और नागेश दीपक बडेराओ—की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं, जो हमले में सहयोग देने के आरोपी हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2 फरवरी 2024 को ठाणे जिले के उल्हासनगर स्थित हिल लाइन पुलिस स्टेशन में दो प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों के बीच विवाद हुआ। इसी दौरान गणपत गायकवाड़ ने अपनी कमर में छिपाकर रखी रिवॉल्वर निकालकर शिवसेना (शिंदे गुट) के कल्याण यूनिट प्रमुख महेश गायकवाड़ पर गोली चला दी, जिससे वह और उनका एक सहयोगी घायल हो गए।
यह घटना वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अनिल जगताप के केबिन में हुई, जो विवाद के दौरान कुछ समय के लिए बाहर गए थे। आरोपियों को हत्या के प्रयास और आतंक फैलाने की मंशा से अवैध जमावड़ा सहित विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया गया।
कोर्ट ने यह भी ध्यान में लिया कि गणपत गायकवाड़ की पत्नी वर्तमान में विधायक हैं, जिससे गवाहों पर प्रभाव पड़ने या डर का माहौल बनने की आशंका है।
कोर्ट ने इस मामले को “कानून के शासन की नींव को हिला देने वाला” बताया और कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह गंभीर अपराधों के लिए “पासपोर्ट” नहीं बन सकती।
अब यह मामला ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगा और सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में रहेंगे।