बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने मंगलवार को विपक्षी दलों के सांसदों से मणिपुर मुद्दे पर गतिरोध खत्म करने और संसद को सुचारू रूप से काम करने देने की अपील की।
बीसीआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस मामले पर संसद में सभी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ “तत्काल चर्चा” की आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है, “इस ज्वलंत मुद्दे पर सिर्फ बातें करने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। इस स्थिति के कारण न केवल बड़ी संख्या में निर्दोष लोग, विशेषकर मेइतेई (जो ज्यादातर हिंदू हैं) पीड़ित हैं, बल्कि अब अन्य पड़ोसी राज्य भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे हैं।”
इसमें कहा गया, “बहिष्कार कोई समाधान नहीं है और यह न केवल मूल्यवान समय की बर्बादी है बल्कि एक निरर्थक अभ्यास भी है।”
बयान में कहा गया है कि सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संसद में चर्चा के लिए तैयार हैं। इसमें कहा गया, राष्ट्रहित में सरकार का रुख और कारण जानने के लिए उसकी बात सुनना बेहतर है।
“देश का प्रत्येक नागरिक मणिपुर और अन्य प्रभावित राज्यों के विवरण, जमीनी हकीकत और वास्तविक स्थिति को जानने का हकदार है।
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इसमें कहा गया, “केवल सरकार, हमारे गृह मंत्री के माध्यम से, इस मामले को स्पष्ट कर सकती है और यही कारण है कि हम अपने देश के विपक्ष के सभी जिम्मेदार नेताओं से यह अपील कर रहे हैं कि वे संसद को अपना कामकाज सुचारू रूप से चलाने दें और इस गंभीर समस्या का सही समाधान निकालें।”
यह रेखांकित करते हुए कि मणिपुर या अन्य स्थानों पर हिंसा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है, बयान में आग्रह किया गया कि सरकार को मामले से निपटने के लिए “खुली छूट” दी जानी चाहिए।
“इसलिए, यही समय है, जब सत्तारूढ़ और विपक्षी नेताओं को एक साथ बैठना चाहिए, सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर रखते हुए मुद्दे को सुलझाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। राजनीति करने के लिए भी एक मजबूत राष्ट्र के अस्तित्व की आवश्यकता होगी और सभी राजनीतिक दलों को इस कठोर सच्चाई को ध्यान में रखना चाहिए।”