इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कोटक महिंद्रा बैंक के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक वैवाहिक विवाद के आधार पर Proview Constructions Limited के बैंक खाते को फ्रीज कर दिया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि बैंक को किसी निदेशक के वैवाहिक विवाद के कारण कंपनी का खाता फ्रीज करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
यह फैसला न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने रिट याचिका संख्या 28679/2024 में सुनाया। यह याचिका Proview Constructions Limited द्वारा संघ सरकार और अन्य पक्षों के खिलाफ दायर की गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता Proview Constructions Limited, जो भारतीय कंपनियों अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है, का चालू खाता कोटक महिंद्रा बैंक की गाजियाबाद शाखा में था। बैंक ने 28 मई 2024 को इस खाते को फ्रीज कर दिया।

उत्तरदाता संख्या 3, जो कि कंपनी के निदेशक राजीव कुमार अरोड़ा की पत्नी होने का दावा करती हैं, ने बैंक को यह अनुरोध किया था कि जब तक उनका वैवाहिक विवाद हल नहीं हो जाता, तब तक कंपनी का खाता फ्रीज रखा जाए। उत्तरदाता के पास कंपनी के मात्र 0.75% शेयर हैं, जबकि अरोड़ा के पास 41.15% शेयर हैं।
यह विवाद एक वैवाहिक मुकदमे और आपराधिक शिकायत (केस क्राइम नंबर 476/2023) से जुड़ा हुआ था, जो लिंक रोड पुलिस थाना, ट्रांस हिंडन कमिश्नरेट, गाजियाबाद में मजिस्ट्रेट के आदेश पर धारा 156(3) दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत दर्ज की गई थी।
बैंक ने बिना किसी न्यायालय आदेश या कानूनी निर्देश के, केवल एफआईआर और उत्तरदाता की अपील के आधार पर कंपनी का खाता फ्रीज कर दिया। इस खाते में 10.57 करोड़ रुपये की जमा राशि थी। इसके बाद, कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया और बैंक के इस मनमाने आदेश को चुनौती दी।
मुख्य कानूनी प्रश्न
- क्या कोई निजी अनुसूचित बैंक किसी तीसरे पक्ष के व्यक्तिगत विवाद के आधार पर किसी खाते से निकासी पर रोक लगा सकता है?
- क्या संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत किसी निजी अनुसूचित बैंक के खिलाफ रिट याचिका दायर की जा सकती है?
- क्या बिना कानूनी प्राधिकरण के बैंक खाता फ्रीज करना अनुच्छेद 300-ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन है?
कोर्ट की टिप्पणियां और फैसला
बैंक और उत्तरदाता संख्या 3 के वकीलों, सुशांत चंद्रा (बैंक की ओर से) और मोहम्मद अरीब मसूद (उत्तरदाता संख्या 3 की ओर से) ने तर्क दिया कि कोटक महिंद्रा बैंक एक निजी संस्था है और अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए इसके खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के Federal Bank Ltd. बनाम Sagar Thomas (2003) 10 SCC 733 और S. Shobha बनाम Muthoot Finance Ltd. (2025 INSC 117) मामलों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि निजी बैंक एक सार्वजनिक कर्तव्य नहीं निभाते, इसलिए उन पर रिट क्षेत्राधिकार लागू नहीं होता।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकीलों अनिल कुमार मेहरोत्रा, अनुज कुमार और सृजन मेहरोत्रा ने तर्क दिया कि कोटक महिंद्रा बैंक एक अनुसूचित बैंक है और आरबीआई के नियंत्रण में है, इसलिए यह सार्वजनिक दायित्व निभाता है और इसकी मनमानी को चुनौती दी जा सकती है।
अदालत ने याचिकाकर्ता के तर्क से सहमति जताते हुए कहा कि S. Shobha (2025) मामले में लागू किए गए ‘फंक्शनल टेस्ट’ के आधार पर, इस मामले में रिट याचिका सुनवाई योग्य है।
फैसले के महत्वपूर्ण अंश
- “बैंक किसी वैवाहिक विवाद में न्यायाधीश की भूमिका नहीं निभा सकता।”
- “किसी निजी बैंक को कानून में ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है कि वह किसी निदेशक के व्यक्तिगत विवाद के आधार पर कंपनी का खाता फ्रीज कर सके।”
- “खाताधारक को अपने खाते से धन निकालने का अधिकार बैंकिंग नियमों और संविधान के अनुच्छेद 300-ए द्वारा संरक्षित है।”
- “एक अनुसूचित बैंक जनता के विश्वास का संरक्षक होता है, न कि कोई निजी साहूकार जो अपनी मर्जी से धन रोके।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला Federal Bank Ltd. (2003) से अलग है, क्योंकि वह एक नियोक्ता-कर्मचारी विवाद से संबंधित था, जबकि S. Shobha (2025) मामला एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से जुड़ा था। अदालत ने माना कि किसी अनुसूचित बैंक द्वारा बिना कानूनी प्राधिकरण के किसी खाते को फ्रीज करना एक न्यायसंगत सार्वजनिक कानून मुद्दा है।
अदालत का अंतिम आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोटक महिंद्रा बैंक के 28 मई 2024 के आदेश को रद्द करते हुए बैंक को निर्देश दिया कि वह तुरंत याचिकाकर्ता के खाते को बहाल करे और सामान्य लेन-देन की अनुमति दे, जब तक कि कोई सक्षम प्राधिकारी विशेष रूप से इसे रोकने का आदेश न दे।
इसके अलावा, अदालत ने उत्तरदाता संख्या 3 को सलाह दी कि वह अपने वैवाहिक विवाद का समाधान सिविल कोर्ट या NCLT (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) में करे, न कि बैंकों पर गैर-कानूनी दबाव डाले।