हुनसूर (मंड्या जिला) में एक अनोखे मामले में बच्चे के नाम को लेकर पति-पत्नी के बीच तीन साल से चल रहा विवाद, जो तलाक तक पहुंचने वाला था, कोर्ट के हस्तक्षेप से शनिवार को खत्म हो गया। बच्चे के जन्म के बाद से जारी मतभेद का अंत अदालत में हुए समझौते के साथ हुआ, जहां दोनों ने नाम को लेकर सहमति जताई और सुलह के बाद माला पहनाकर एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
मामले की शुरुआत 2021 में बच्चे के जन्म के बाद हुई। मां ने बच्चे को ‘आदि’ कहकर पुकारना शुरू किया, लेकिन इस नाम को औपचारिक रूप से पंजीकृत नहीं किया गया। पिता, जो पत्नी की गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद उससे नहीं मिले थे, ‘आदि’ नाम से सहमत नहीं थे और उन्होंने ऐसा नाम चुना जो भगवान शनि का सम्मान करता हो। दोनों के बीच कोई समझौता नहीं होने पर पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए कोर्ट का रुख किया।
समस्या का समाधान हुनसूर के न्यायिक समुदाय के प्रयासों से हुआ। सहायक लोक अभियोजक सौम्या एमएन और कई न्यायाधीशों ने दोनों के लिए उपयुक्त नाम सुझाए। आखिरकार, कोर्ट की सलाह पर ‘आर्यवर्धन’ नाम पर सहमति बनी, जो दोनों पक्षों की भावनाओं का सम्मान करता है।
शनिवार को हुनसूर के आठवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में आयोजित एक अनोखे समारोह में बच्चे का औपचारिक नामकरण किया गया। इस अवसर पर आठवें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एच गोविंदैया, वरिष्ठ प्रिंसिपल न्यायाधीश ज़ैबुन्निसा, अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अनीता, और जूनियर डिवीजन की अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश पूजा बेलिकेरी सहित कई न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। स्थानीय बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सी हरीश कुमार और सचिव एचजे संदीप ने भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हुनसूर तालुक बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस शिवन्ने गौड़ा के अनुसार, ‘आर्यवर्धन’ नाम पर सहमति बनने के बाद दोनों के बीच तलाक का खतरा टल गया। नामकरण समारोह न केवल एक कानूनी प्रक्रिया थी, बल्कि यह एक खुशी और एकता का पल भी था, जिसे न्यायाधीशों और वकीलों ने मिलकर देखा।