1 जुलाई 2024 से पहले शुरू हुए गैंगस्टर एक्ट मामलों में भी BNSS के तहत अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामलों में भी सुनवाई योग्य है, भले ही प्राथमिकी और चार्जशीट BNSS के लागू होने से पहले की हों, यदि गिरफ्तारी की आशंका BNSS के लागू होने के बाद उत्पन्न हुई हो।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने Tatheer Jafri @ Allika and 2 Others vs. State of U.P. मामले में पारित किया, जिसमें क्रिमिनल मिस. अग्रिम जमानत याचिका संख्या 118/2025 पर सुनवाई हुई।

प्रकरण की पृष्ठभूमि

यह मामला अपराध संख्या 632/2023 से संबंधित था, जो कि उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और असामाजिक गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1986 की धारा 3(1) के तहत थाना कोतवाली नगर, जनपद बाराबंकी में दर्ज किया गया था। इसका आधार अपराध संख्या 102/2021 था जिसमें IPC की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 379, 504 और 506 शामिल थीं। उस मामले में चार्जशीट 11 फरवरी 2024 को दाखिल की गई और अदालत द्वारा 25 अप्रैल 2024 को समन आदेश जारी किया गया। इसके बाद दो बार जमानती वारंट जारी हुए — पहला 30 मई 2024 को और दूसरा 2 जुलाई 2024 को।

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राज्य की आपत्ति

राज्य की ओर से अपर सरकारी अधिवक्ता श्री रणविजय सिंह ने याचिका की सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति जताई। उन्होंने उत्तर प्रदेश संशोधन अधिनियम, 2022 का हवाला दिया, जो गैंगस्टर एक्ट के मामलों में अग्रिम जमानत की अनुमति नहीं देता। उनका तर्क था कि चूंकि चार्जशीट और पहला वारंट 1 जुलाई 2024 से पहले के हैं, इसलिए BNSS के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

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याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से श्री नदीम मुर्तजा और श्री अंजनी कुमार मिश्रा ने पेश होकर तर्क दिया कि BNSS की धारा 482 अग्रिम जमानत का प्रावधान करती है और यहां विचारणीय बिंदु यह है कि गिरफ्तारी की आशंका कब उत्पन्न हुई — न कि चार्जशीट या समन की तिथि। उन्होंने कहा कि चूंकि 2 जुलाई 2024 को दूसरा वारंट जारी हुआ जो कि BNSS के लागू होने के बाद है, अतः याचिका सुनवाई योग्य है। उन्होंने Deepu & Others vs. State of U.P. और M. Ravindran vs. Intelligence Officer [(2021) 2 SCC 485] पर भरोसा जताया।

न्यायालय के विचार

न्यायालय ने कहा:

“चार्जशीट दाखिल करने, समन आदेश जारी होने और पहले जमानती वारंट जारी होने के समय BNSS, 2023 लागू नहीं हुआ था… किंतु यह भी स्पष्ट है कि BNSS, 2023 के लागू होने के बाद 2.7.2024 को दूसरा बाइलबल वारंट जारी किया गया।”

न्यायालय ने BNSS की धारा 482 का हवाला देते हुए कहा:

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“धारा 482 BNSS, 2023 में अग्रिम जमानत हेतु एक प्रणाली दी गई है… ऐसी याचिका तब सुनवाई योग्य होती है जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास हो कि उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।”

कोर्ट ने जोर देते हुए कहा:

“2.7.2024 को जारी दूसरे बेलबल वारंट के बाद गिरफ्तारी की आशंका उत्पन्न हुई है और यह एक सतत कारण मानी जाएगी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को अब तक हिरासत में नहीं लिया गया है।”

Deepu मामले और BNSS की धारा 531(2)(a) का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा:

“निरसन प्रावधान केवल उन याचिकाओं को संरक्षित करता है जो BNSS के लागू होने से पहले लंबित थीं… चूंकि इस मामले में अग्रिम जमानत की याचिका BNSS लागू होने से पहले दाखिल नहीं हुई थी, अतः निरसन व बचाव की धारा लागू नहीं होती।”

स्वतंत्रता का महत्व

न्यायालय ने EERA vs. State (NCT of Delhi) [(2017) 15 SCC 133] में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा:

“अग्रिम जमानत जैसे प्रावधानों की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि उनका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन हो सके, विशेषकर इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कि जब तक दोष सिद्ध न हो, व्यक्ति निर्दोष माना जाता है।”

M. Ravindran मामले पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा:

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“यदि किसी दंडात्मक अधिनियम की व्याख्या में कोई संदेह हो तो न्यायालय को उस पक्ष में झुकना चाहिए जो अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा करता है।”

निर्णय

राज्य द्वारा याचिका की सुनवाई योग्य होने पर की गई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा:

“वर्तमान अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई योग्यता पर उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति अस्वीकृत की जाती है।”

विषयवस्तु पर विचार करते हुए और यह देखते हुए कि गैंग चार्ट में केवल एक पूर्व मामला था तथा याचिकाकर्ताओं को पहले से ही अंतरिम संरक्षण प्राप्त था, न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया

न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि गिरफ्तारी होती है तो याचिकाकर्ताओं को निजी मुचलके और जमानतदारों पर रिहा किया जाए, बशर्ते वे जांच में सहयोग करें और अन्य सामान्य शर्तों का पालन करें।

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