इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील की बार-बार गैरहाज़िरी और अदालती प्रक्रिया के दुरुपयोग पर कड़ी टिप्पणी की, जमानत याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2025 को श्रीमती पूजा द्वारा दायर क्रिमिनल मिस. बेल एप्लिकेशन नंबर 34926 ऑफ 2023 को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि याची के वकील की बार-बार गैरहाज़िरी न सिर्फ़ पेशेवर दुर्व्यवहार (प्रोफेशनल मिसकंडक्ट) है, बल्कि यह अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग और “बेंच हंटिंग” या “फोरम शॉपिंग” के समान है।

मामले की पृष्ठभूमि:
श्रीमती पूजा ने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राज्य की ओर से अपर सरकारी अधिवक्ता (एजीए) श्री अनित कुमार शुक्ला और सूचक (इन्फॉर्मेंट) की ओर से श्री सुनील कुमार उपाध्याय पेश हुए। यह मामला पहले भी कई तारीखों — 31 जनवरी 2024, 15 फरवरी 2024, 1 मार्च 2024, 6 मार्च 2025, और 10 अप्रैल 2025 — को सूचीबद्ध हुआ था, लेकिन याची के वकील कभी भी पेश होकर बहस के लिए उपस्थित नहीं हुए।

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दलीलें और अदालत की टिप्पणियाँ:
सूचक के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी का धारा 313 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज किया जा चुका है और मामला अपने अंतिम चरण में है।
न्यायमूर्ति पहल ने वकीलों की बार-बार की अनुपस्थिति पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार पेशेवर दुर्व्यवहार के साथ-साथ “बेंच हंटिंग या फोरम शॉपिंग” जैसा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ईश्वरलाल माली राठौर बनाम गोपाल (2021) 12 एससीसी 612 का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि स्थगन (एडजर्नमेंट) रूटीन में नहीं दिए जाने चाहिए और अदालतों की जिम्मेदारी है कि न्याय वितरण कुशलतापूर्वक हो।

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अदालत ने साफ शब्दों में कहा, “सिर्फ जमानत याचिका लंबित होने मात्र से याची के पक्ष में कोई अधिकार उत्पन्न नहीं हो सकता। इसे वर्षों तक लंबित रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। याची को बिना उचित स्पष्टीकरण के अदालती कार्यवाही में बार-बार अनुपस्थित रहकर न्याय की धारा को पतित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

डिवीजन बेंच के फैसले अश्विनी कुमार श्रीवास्तव बनाम डी. सेन गुप्ता का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि वकीलों का कर्तव्य है कि वे न्यायिक प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने में सहायता करें। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण याचिकाएं न्यायपालिका पर अनावश्यक भार डालती हैं और वास्तविक पीड़ितों के समय को छीन लेती हैं।

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अंतिम निर्णय:
याची के वकील की बार-बार की गैरहाज़िरी और मामले के समय की धारणा में अप्रासंगिक हो जाने के मद्देनज़र अदालत ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा, “वर्तमान मामला अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।”

रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश दिया गया कि वे इस आदेश को संबंधित अदालत अथवा प्राधिकरण तक अनुपालन हेतु प्रेषित करें।

मामले का विवरण:

मामला: श्रीमती पूजा बनाम राज्य उत्तर प्रदेश
मामला संख्या: क्रिमिनल मिस. बेल एप्लिकेशन नंबर 34926 ऑफ 2023
वकील: याची की ओर से – अनिल कुमार शुक्ला; विपक्ष की ओर से – एजीए श्री अनित कुमार शुक्ला एवं श्री सुनील कुमार उपाध्याय

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