योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को चैलेंज देने वाली याचिकाओं पर 2 फरवरी को सुनवाई होगी। सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर एंव जस्टिस एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।
कोर्ट को बताया गया कि समस्त याचिकाओं को स्थानांतरित कर एक साथ सुने जाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। जिसकी जल्द सुनवाई होगी इसलिए अर्जी तय होने तक सुनवाई स्थगित की जाए। जिस पर सुनवाई स्थगित कर दी गई है। प्रदेश सरकार को ओर से याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है।
याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद व शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने व धर्म व पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसलिए इसे रदद किया जाए। क्योंकि इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।
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राज्य सरकार का कहना है कि विवाह के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था और सामाजिक स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून बनाया गया है। जो पूर्ण रूप से संविधान सम्मत है। इससे किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन नही होता। वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है।