शिकायत की तिथि और स्थानांतरण की तिथि एक ही है- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘स्थानांतरण आदेश को रद्द किया

एक महत्वपूर्ण निर्णय में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश को उचित तथ्यान्वेषण जांच के अभाव के कारण “विकृत” और “अवैध” करार देते हुए रद्द कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान द्वारा WRIT – A संख्या – 5198/2024 मामले की सुनवाई की गई।

याचिकाकर्ता, प्रखर सक्सेना, जो उप निदेशक कृषि, बरेली के कार्यालय में कनिष्ठ सहायक हैं, ने उप निदेशक कृषि, बहराइच के कार्यालय में दिनांक 30.06.2024 को अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी। स्थानांतरण कथित रूप से प्रशासनिक आधार पर किया गया था।

मामले का सार उप निदेशक कृषि, बरेली द्वारा निदेशक कृषि, उत्तर प्रदेश, लखनऊ को दिनांक 30.06.2024 को भेजे गए शिकायती पत्र के इर्द-गिर्द घूमता है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता “समय रहते फाइल तैयार नहीं कर सका और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है”।

याचिकाकर्ता की वकील सुश्री रितिका सिंह ने तर्क दिया कि स्थानांतरण आदेश शिकायत के दिन ही आरोपों के सत्यापन के बिना जारी कर दिया गया। उन्होंने तर्क दिया कि स्थानांतरण आदेश जारी करने से पहले शिकायतों की सच्चाई का पता लगाने के लिए तथ्य-खोजी जांच आवश्यक है।

राज्य की अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुश्री पारुल बाजपेयी ने तर्क दिया कि स्थानांतरण केवल शिकायत के आधार पर नहीं बल्कि इसलिए भी किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता ने बरेली में लगभग 9 वर्ष की सेवा पूरी कर ली थी। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि स्थानांतरण आदेश में इस कारण का उल्लेख नहीं किया गया था।

अपने निर्णय में न्यायमूर्ति चौहान ने कहा:

“शिकायत की तिथि और स्थानांतरण की तिथि एक ही है। स्थानांतरण आदेश में दर्शाए गए प्रशासनिक कारण यह हैं कि शिकायत के लिए कम से कम एक तथ्य-खोजी जांच आवश्यक थी, जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा नहीं की गई है। इसलिए, केवल इसी कारण से, यह स्थानांतरण आदेश विकृत और अवैध है”।

न्यायालय ने रिट याचिका स्वीकार कर ली तथा दिनांक 30.06.2024 के स्थानांतरण आदेश को निरस्त कर दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति चौहान ने स्पष्ट किया कि सक्षम प्राधिकारी के पास सरकारी नीति तथा कानून के अनुसार उचित स्थानांतरण आदेश पारित करने का विशेषाधिकार है।

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मामले का विवरण:

1. याचिकाकर्ता: प्रखर सक्सेना

2. प्रतिवादी: उत्तर प्रदेश राज्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि विभाग, लखनऊ तथा 3 अन्य के माध्यम से

3. याचिकाकर्ता के वकील: सैयद मोहम्मद हैदर रिजव, रितिका सिंह, तुषार मित्तल

4. प्रतिवादी के वकील: सी.एस.सी. (मुख्य स्थायी वकील)

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