हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी, जिसमें संत ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस द्वारा लिखित पुस्तक “तथाकथित गायत्री देवी मंत्र की वास्तविकता” (तथाकथित गायत्री मंत्र की वास्तविकता) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। सत्य सनातन धर्म धर्मात्मा कल्याण समिति द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि पुस्तक में अपमानजनक सामग्री है जो संभावित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की अगुवाई वाली खंडपीठ ने याचिका के खिलाफ फैसला सुनाया। न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसी याचिकाकर्ता द्वारा 2016 में इसी तरह की याचिका को निष्फल बताकर खारिज कर दिया गया था, जिससे एक मिसाल कायम हुई जिसने समान कारण वाली बाद की जनहित याचिका पर विचार करने पर रोक लगा दी।
खारिज की गई जनहित याचिका में तर्क दिया गया था कि पुस्तक की सामग्री पाठकों को बहुत आहत कर सकती है और इसकी छपाई, प्रकाशन, वितरण और संचलन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
