इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक निर्णय देते हुए एक शासनादेश को साफ करते हुए कहा है कि दिव्यांग कार्मिकों को नियमित तबादलों से छूट हासिल है। खंडपीठ ने वाराणसी के उप परिवहन आयुक्त के ट्रांसफर आर्डर को रदद करते हुए वहीं पर कार्यरत रहने का निर्देश दिया है। पीठ के न्यायाधीश चंद्रधारी सिंह ने यह निर्णय लक्ष्मीकांत मिश्र की सेवा संबंधी याचिका पर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका तबादला वाराणसी के उप परिवहन आयुक्त के पद पर 27 जून 2019 को हुआ था। जिसके बाद 11 जून 2020 को ही उसे लखनऊ मुख्यालय में आयुक्त के पद पर ही भेज दिया गया। प्रदेश सरकार की तरफ से इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि यह बात सही है कि दिव्यांग कर्मियों के नियमित तबादलों में छूट है।
लेकिन उनके विरुद्ध शिकायत मिलने पर उनका तबादला किया जा सकता है। इस मामले में याची के खिलाफ वाराणसी में नियुक्ति के दौरान भ्रष्टाचार की शिकायतें आई थी। इस पर कोर्ट ने तर्क दिया कि याची 50 फीसदी दिव्यांग है। 15 दिसम्बर 2003 का शासनादेश ऐसे अधिकारी या कर्मचारी के लिए नरमी बरतने का निर्देश देता है। इसलिए याची उस शासनादेश के तहत सुरक्षा पाने का हकदार है।