इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि पत्नी के निधन के बाद अनुकंपा के तहत पति को नौकरी मिलती है तो उसे दूसरी शादी करने से नही रोका जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विगत माह इस मामले में फैसला सुनाया कोर्ट ने कहा कि पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी से रोकना व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन है। मात्र अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को मुद्दा बनाकर किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नही किया जा सकता है।
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हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि पति को पत्नी की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्त किया जाता है तो उसे फिर से शादी करने से रोका नही जा सकता है और व्यक्ति दूसरी शादी के मुद्दे पर किसी भी प्रकार से अयोग्य नही होगा। उस पर अनुशास्त्मक कार्यवाही नही की जाएगी इसके साथ ही पति को कोई कानूनी अनुमति लेने की दरकिनार नही है।
मामला-
याची पति को अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अनुकंपा के तहत नियुक्ति मिली थी। वहीं याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की छोटी बहन के साथ शादी करने वाला था। इसलिए उसने बेसिक शिक्षा अभियान से दोबारा शादी की अनुमति मांगी। जहां वह कार्यरत थे। इस पर कोर्ट ने कहा था कि यदि मृतक के आश्रितों की जिम्मेदारी उठाने से अनुकंपा प्राप्त व्यक्ति इनकार करता है तो उसकी सेवाओं को समाप्त किया जा सकता है।
न्यायालय ने कहा कि यदि अपनी पत्नी की छोटी बहन के साथ विवाह करने के उपरांत उसकी पत्नी के आश्रितों की जिम्मेदारी संभालना चाहता है तो उसे दूसरी शादी से नही रोका जा सकता न ही अनुकंपा के आधार पर मिली नौकरी से हटाया जा सकता है।