स्नातक डिग्री अनिवार्य: मान्यता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में सहायक अध्यापक पद के लिए सरकार का आदेश वैध – इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस सरकारी आदेश को वैध ठहराया है, जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि मान्यता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में सहायक अध्यापक पद के लिए अभ्यर्थियों के पास किसी विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री (जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग–UGC से मान्यता प्राप्त हो) और राज्य सरकार अथवा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) से मान्यता प्राप्त शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स होना आवश्यक है।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार की उस विशेष अपील पर दिया, जो 24 सितंबर 2024 को पारित एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी। एकल पीठ ने उस समय 9 सितंबर 2024 के सरकारी आदेश की धारा 4 को निरस्त कर दिया था।

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याचिकाकर्ता यशांक खंडेलवाल व अन्य नौ अभ्यर्थियों ने एक रिट याचिका दायर कर राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें दो वर्षीय प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (D.El.Ed/BTC) पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाए, भले ही उनके पास केवल इंटरमीडिएट (12वीं) की योग्यता हो। उन्होंने यह भी आग्रह किया था कि जिस सरकारी आदेश में स्नातक डिग्री को प्रवेश की न्यूनतम योग्यता के रूप में निर्धारित किया गया है, उसे रद्द किया जाए।

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एकल पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए धारा 4 को रद्द कर दिया था और राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ताओं को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग लेने की अनुमति दी जाए।

दो सदस्यीय पीठ ने संबंधित नियमों और सरकारी आदेशों का अवलोकन करने के बाद कहा कि वर्ष 1981 के नियमों और 1998 से अब तक जारी विभिन्न आदेशों से यह स्पष्ट है कि “शिक्षक प्रशिक्षण” को विशेष महत्व दिया गया है, और कानून का उद्देश्य यह है कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए केवल स्नातक उम्मीदवार ही पात्र हों।

पीठ ने कहा—

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“विभिन्न नियमों और प्रावधानों के अवलोकन से स्पष्ट है कि ‘प्रशिक्षण’ को विशेष महत्व दिया गया है और कानून की मंशा यही है कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए स्नातक अभ्यर्थी ही पात्र हों। इसलिए यदि राज्य सरकार ने 1998 से अब तक हर सरकारी आदेश में स्नातक को न्यूनतम योग्यता के रूप में निर्धारित किया है, तो यह 1981 के नियमों के अनुरूप है और मनमाना नहीं कहा जा सकता।”

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उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर, खंडपीठ ने राज्य की अपील स्वीकार कर ली, एकल पीठ का आदेश निरस्त कर दिया और याचिकाकर्ताओं की रिट याचिका खारिज कर दी। इस निर्णय के साथ अब यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश में डी.एल.एड./बी.टी.सी. प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश और मान्यता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में सहायक अध्यापक पद के लिए केवल स्नातक उम्मीदवार ही पात्र होंगे।

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