इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुख्यात उन्नाव बलात्कार मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें आरोपी रामचंद्र यादव की जमानत मंजूर होने के बावजूद उसकी रिहाई पर रोक लगा दी गई है। यह फैसला बलात्कार पीड़िता के गर्भ में पल रहे भ्रूण के आरोपी के पिता होने की पुष्टि करने वाली नई फोरेंसिक रिपोर्ट की विस्तृत समीक्षा के बाद आया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ के न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने मामले की जटिलताओं पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कथित तौर पर आरोपी द्वारा गर्भवती की गई नाबालिग पीड़िता शामिल थी। अदालत का फैसला फोरेंसिक रिपोर्ट में प्रस्तुत निष्कर्षों और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार द्वारा आगे की प्रस्तुतियों पर आधारित है।
अदालत ने यादव को 20 जून को जमानत दी थी, जिसके बाद राज्य के डीजीपी ने मामले पर एक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट, जिसमें फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) के परिणाम शामिल थे, ने यादव की रिहाई को रोकने के अदालत के नवीनतम निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उनके खिलाफ आरोपों की गंभीरता को उजागर किया गया।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप नाबालिगों के खिलाफ अपराधों से जुड़े संवेदनशील मामलों से निपटने में उसके सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है। पीठ ने आदेश दिया कि रिहाई पर रोक लगाने के फैसले का 20 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी न्यायिक प्रक्रियाओं का पूरी तरह से पालन किया जाए।
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पिछले साल उन्नाव जिले के गंगा घाट पुलिस स्टेशन क्षेत्र में हुई एक घटना से उत्पन्न यह मामला पिछले साल 5 सितंबर को यादव की गिरफ्तारी के बाद से न्यायिक जांच के दायरे में है। इस घटना की आधिकारिक तौर पर पिछले साल 21 अप्रैल को रिपोर्ट की गई थी, और तब से, इस मामले में कई घटनाक्रम हुए हैं, जिसके कारण यह हालिया अदालती आदेश आया है।