इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और सांसद संजय सिंह को अंतरिम राहत देते हुए कहा है कि उन्हें गुरुवार तक सुल्तानपुर की अदालत में आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश 2001 के एक मामले के संबंध में आया है, जिसमें सड़क पर विरोध प्रदर्शन शामिल है, जिसके लिए सिंह और अन्य को इस साल की शुरुआत में दोषी ठहराया गया था।
हाईकोर्ट ने पुष्टि की कि वह गुरुवार को सिंह की जमानत याचिका और संबंधित पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति के.एस. पवार ने बुधवार को सिंह की कानूनी टीम के एक तत्काल अनुरोध के जवाब में अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में भाग लेने की आवश्यकता का हवाला दिया गया था।
अदालत के आदेश ने सुल्तानपुर अदालत द्वारा शुरू की गई किसी भी कार्यवाही को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जिसमें सिंह के आत्मसमर्पण की आवश्यकता भी शामिल है। आदेश में कहा गया है, “आरोपी पुनरीक्षणकर्ता को मामले की सुनवाई होने तक निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता नहीं है।” हाईकोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत द्वारा जारी की गई कोई भी प्रक्रिया गुरुवार तक स्थगित रहेगी।
संजय सिंह समेत पांच अन्य को सुल्तानपुर की एक अदालत ने 11 जनवरी 2023 को दोषी ठहराया था। यह मामला 19 जून 2001 को सुल्तानपुर के सब्जी मंडी इलाके में बिजली आपूर्ति के मुद्दे पर हुए प्रदर्शन से जुड़ा है। सत्र अदालत ने 6 अगस्त 2023 को उनकी अपील खारिज कर दी, जिसके बाद सिंह ने हाईकोर्ट से राहत मांगी।
राज्य के वकील ने तर्क दिया कि सिंह की पुनरीक्षण याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि सत्र अदालत ने उन्हें 9 अगस्त को ट्रायल कोर्ट में पेश होकर अपनी सजा काटने का आदेश दिया था। हालांकि, सिंह ने आत्मसमर्पण नहीं किया, जिसके कारण 13 अगस्त को सुल्तानपुर में एमपी-एमएलए अदालत ने उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया।
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समाजवादी पार्टी के नेता अनूप सांडा समेत आरोपी मंगलवार को निर्धारित सुनवाई के लिए सुल्तानपुर अदालत में पेश नहीं हुए, जिसके कारण स्थानीय अदालत ने पुलिस को उन्हें 28 अगस्त तक गिरफ्तार करके पेश करने का निर्देश दिया।