इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफ़ान सोलंकी के खिलाफ वसूली और ठगी के एक आपराधिक मामले में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। यह मामला कानपुर नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में विचाराधीन है।
न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने यह अंतरिम आदेश सोलंकी की उस याचिका पर पारित किया जिसमें उन्होंने चार्जशीट, ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही और 15 नवंबर 2022 को पारित समन आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर 2025 तय की और तब तक सीजेएम, कानपुर नगर की अदालत में चल रही आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
यह मामला 6 फरवरी 2022 को कानपुर नगर के जाजमऊ थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया था। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 386 (मौत या गंभीर चोट का भय दिखाकर वसूली) सहित कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता अकील अहमद ने आरोप लगाया कि इरफ़ान सोलंकी और सह-आरोपी रिज़वान सोलंकी ने कुछ गरीब लोगों की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी। जब शिकायतकर्ता ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने उसे धमकाया और 10 लाख रुपये व 10 प्रतिशत तथाकथित “विधायक टैक्स” की मांग की।

इरफ़ान सोलंकी की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि सोलंकी निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक द्वेषवश इस मामले में झूठा फँसाया गया है। घटना के समय वे विधायक थे और राजनीतिक शत्रुता के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है।