इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है, जहां एक नाबालिग बच्चे को उसके माता-पिता की रेल हादसे में मौत के बावजूद राज्य की ओर से घोषित अनुग्रह राशि नहीं दी गई, जबकि केंद्र सरकार पहले ही दावे को सत्यापित कर अपनी हिस्सेदारी जारी कर चुकी है।
न्यायमूर्ति अजीत कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की पीठ ने यह टिप्पणी आदर्श पांडेय (अभ्यर्थी), जो एक नाबालिग है, की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में रेलवे हादसे में मारे जाने वाले लोगों के आश्रितों के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा घोषित वित्तीय सहायता जारी करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता के अनुसार, केंद्र सरकार ने आश्रितों को 5 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की थी, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार भी उतनी ही राशि देगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपने प्रत्युत्तर हलफनामे में कहा कि उसने घोषित नीति के अनुसार भुगतान कर दिया है। वहीं, राज्य सरकार ने अदालत को यह कहते हुए भुगतान से इनकार किया कि माता-पिता की रेल दुर्घटना में मौत का “प्रमाण” उपलब्ध नहीं है, इसलिए राशि जारी नहीं की जा सकती।
इस विरोधाभासी रवैये पर नाराज़गी जताते हुए अदालत ने 28 नवंबर के आदेश में कहा, “यह, हमारे विचार में, नीति का मज़ाक बनाना है उन लोगों द्वारा जो राज्य विभाग के शीर्ष पदों पर हैं, जबकि केंद्र सरकार भुगतान कर चुकी है।”
अदालत अब इस बात पर आगे सुनवाई करेगी कि घोषित नीति के अनुसार नाबालिग याचिकाकर्ता को राहत सुनिश्चित की जाए।

