इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव को “घटिया” नमकीन (स्वादिष्ट नाश्ता) की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है। न्यायालय के निर्देश का उद्देश्य मानव उपभोग के लिए बेचे जा रहे ऐसे उत्पादों के स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर चिंताओं को दूर करना है।
न्यायमूर्ति वी के बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह की पीठ ने 5 सितंबर को मवेशियों के चारे के लिए अस्वीकृत नमकीन को फिर से पैक करके बेचने की प्रथा से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डाला। न्यायाधीशों ने कहा कि इन उत्पादों को अन्य स्नैक्स के साथ मिलाकर खुले बाजार में बेचा जा रहा है, जिससे जनता के स्वास्थ्य को काफी खतरा है।
जनहित याचिका (पीआईएल) के दायरे को स्थानीय मुद्दे से आगे बढ़ाकर राष्ट्रीय चिंता का विषय बनाते हुए न्यायालय ने केंद्र सरकार, विशेष रूप से उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को भी इसमें शामिल किया है। यह कदम इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करता है, जो जिले की सीमाओं से परे है और पूरे देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
अदालत ने अगली सुनवाई 20 सितंबर, 2024 के लिए निर्धारित की है, और राज्य और केंद्रीय अधिकारियों दोनों से व्यापक प्रतिक्रिया की अपेक्षा की है। हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन आयुक्त के साथ-साथ कानपुर और बरेली के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा अनुपालन हलफनामे दायर किए गए थे।
इसके अलावा, अदालत ने हाईकोर्ट के वकील आशुतोष कुमार तिवारी के हस्तक्षेप को स्वीकार किया है, जिनके योगदान ने मामले के समाधान के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। अदालत ने इन घटिया उत्पादों के उत्पादन और वितरण के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और विनिर्माण इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया।