इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया की समयपूर्व रिहाई के संबंध में जवाब मांगा है। यह अनुरोध समाजवादी पार्टी के विधायक जवाहर यादव की 1996 में हुई हत्या के मामले में कारावास से उनकी समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका के आलोक में आया है।
प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद उदयभान करवरिया को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा जारी क्षमादान के बाद 25 जुलाई, 2024 को रिहा कर दिया गया था। यह निर्णय राज्य सरकार की सिफारिश पर आधारित था, जिसमें कारावास के दौरान करवरिया के अच्छे आचरण का हवाला दिया गया था।
इस रिहाई के खिलाफ रिट याचिका मृतक विधायक की विधवा और प्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए वर्तमान समाजवादी पार्टी की प्रतिनिधि विजमा यादव द्वारा दायर की गई थी। याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने न केवल करवरिया को नोटिस जारी किया, बल्कि सरकार के वकील को अगले चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
अनुच्छेद 161 राज्य के राज्यपाल को अच्छे आचरण जैसे पहलुओं के आधार पर दोषियों को क्षमा करने या उनकी सजा कम करने का अधिकार देता है। प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उनके आचरण का समर्थन करने के बाद करवरिया की रिहाई में यह खंड महत्वपूर्ण था।
करवरिया की आपराधिक सजा अगस्त 1996 में जवाहर यादव की हत्या से जुड़ी है, जिसके लिए उन्हें 4 नवंबर, 2019 को दो भाइयों और एक अन्य व्यक्ति के साथ सजा सुनाई गई थी। अपने विवादास्पद अतीत के बावजूद, करवरिया 2002 और 2007 में प्रयागराज की बारा विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने गए, हालांकि वे बाद के चुनाव हार गए।