इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत संपत्ति विवादों का निपटारा ट्राइब्यूनल नहीं कर सकते

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि वरिष्ठ नागरिकों के रख-रखाव और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत गठित ट्राइब्यूनल को संपत्ति स्वामित्व से जुड़े विवादों, विशेष रूप से तीसरे पक्ष से संबंधित मामलों में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। ऐसे मामलों का निपटारा केवल सक्षम सिविल न्यायालयों द्वारा ही किया जा सकता है।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति वाई.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इशाक नामक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए की। याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश वरिष्ठ नागरिक रख-रखाव एवं कल्याण नियमावली, 2014 के नियम 21 के तहत अपनी जान और संपत्ति की सुरक्षा की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने अपनी निजी संपत्ति पर गेट लगाने की कोशिश की तो निजी प्रतिवादियों ने उन्हें धमकाया।

READ ALSO  एनडीपीएस | आरोपी के पास से भारी मात्रा में नशीले पदार्थ की बरामदगी के मामले में अदालतों को आरोपी को जमानत देने में धीमी गति से काम करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि अधिनियम का उद्देश्य मुख्यतः उन वरिष्ठ नागरिकों की रक्षा करना है जिन्हें उनके बच्चे या ऐसे उत्तराधिकारी उपेक्षित करते हैं जो उनकी संपत्ति के हकदार हो सकते हैं। पीठ ने कहा, “इस अधिनियम के तहत संपत्ति और स्वामित्व अधिकारों से जुड़े विवादों को सुलझाने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है, खासकर जब विवाद किसी तीसरे पक्ष से हो। ऐसे मामलों का निपटारा सक्षम सिविल अदालतों द्वारा किया जाना चाहिए।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि 2007 के अधिनियम को पारिवारिक ढांचे के बिखराव के कारण उपेक्षित हो रहे बुजुर्गों की रक्षा के उद्देश्य से लागू किया गया था। अधिनियम की धारा 4 ऐसे वरिष्ठ नागरिक को भरण-पोषण का अधिकार देती है जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है, जबकि धारा 5 और 7 के तहत ऐसे व्यक्ति ट्राइब्यूनल में आवेदन दे सकते हैं।

READ ALSO  अभियोजन पक्ष के गवाह के साक्ष्य को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि अभियोजन पक्ष ने उसके साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार किया और उससे जिरह की: सुप्रीम कोर्ट

हालांकि, कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को पड़ोसी द्वारा गेट निर्माण में बाधा पहुंचाना इस अधिनियम के दायरे में नहीं आता और अधिनियम के अंतर्गत उसका कोई विधिक अधिकार प्रभावित नहीं हुआ है।

कोर्ट ने 16 जुलाई को हुई सुनवाई में यह याचिका खारिज कर दी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles