समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान की ज़मानत अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। यह मामला रामपुर ज़िले में स्थित क्वालिटी बार पर कथित कब्ज़े से जुड़ा है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति समीर जैन की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया।
इस प्रकरण की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी, जब राजस्व निरीक्षक अंगराज सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई। इसमें सैयद जफ़र अली जाफरी, आज़म ख़ान की पत्नी तज़ीन फ़ातिमा और उनके पुत्र एवं पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म ख़ान को आरोपी बनाया गया था। उस समय एफआईआर में आज़म ख़ान का नाम शामिल नहीं था।

हालांकि, लगभग पांच वर्ष बाद पुनः जांच कराई गई और इस मामले में आज़म ख़ान को भी आरोपी के तौर पर नामज़द किया गया। विवादित क्वालिटी बार सैद नगर हर्दोई पट्टी में हाईवे पर स्थित है, जो सिविल लाइंस थाने के अंतर्गत आता है।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता इमरान उल्ला ने दलील दी कि एफआईआर दर्ज करने में अनुचित विलंब हुआ है, जिससे मुकदमे की विश्वसनीयता संदिग्ध होती है। उन्होंने यह भी कहा कि पांच साल बीत जाने के बाद किसी मामले में पुनः जांच कराना विधिसम्मत नहीं है।
वहीं, अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि पुनः जांच उचित है और इस मामले में आज़म ख़ान को आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।
अब हाईकोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद आदेश सुनाएगा।