इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रीति यादव द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि फर्रुखाबाद पुलिस ने न केवल उनके पति को अवैध रूप से हिरासत में रखा, बल्कि उन पर याचिका वापस लेने के लिए दबाव भी डाला।
न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा।
प्रीति यादव ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके पति और एक अन्य व्यक्ति को 8 सितंबर को फर्रुखाबाद पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया और 14 सितंबर को रिहा किया। इस दौरान पुलिस ने उन पर दबाव बनाकर कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए और एक पत्र लिखने को मजबूर किया।

सुनवाई के दौरान फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (एसपी) आरती सिंह ने अदालत के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी। अदालत ने उनसे पूरे मामले पर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा।
अदालत ने फर्रुखाबाद के अधिवक्ता अवधेश कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल एक आवेदन पर भी संज्ञान लिया। उनके वकीलों अमरेंद्र नाथ सिंह और प्रशांत सिंह रिंकू ने बताया कि मिश्रा की कानूनी सलाह पर ही प्रीति यादव ने याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर दी।
मामले में मंगलवार को नाटकीय मोड़ तब आया जब सुनवाई के बाद मिश्रा, जो याचिकाकर्ता के साथ अदालत आए थे, को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस पर अदालत में तुरंत उल्लेख किया गया और खंडपीठ ने एसपी आरती सिंह को तब तक अदालत परिसर न छोड़ने का आदेश दिया जब तक मिश्रा को पेश नहीं किया जाता। बाद में मिश्रा को अदालत में पेश किया गया और अदालत ने एसपी को बुधवार को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।