इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रवक्ता प्रियंका भारती के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है, जिन पर लाइव टीवी बहस के दौरान “मनुस्मृति” के पन्ने फाड़ने का आरोप है। इस घटना ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है, जिसके कारण भारती के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गई।
न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने भारती की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें लाइव टीवी पर उनके द्वारा जानबूझकर की गई हरकतों पर जोर दिया गया। पीठ ने 28 फरवरी को अपने फैसले में कहा, “किसी विशेष धर्म की पवित्र पुस्तक मनुस्मृति के पन्ने फाड़ने का कृत्य याचिकाकर्ता के दुर्भावनापूर्ण और जानबूझकर किए गए इरादे का प्रथम दृष्टया प्रतिबिंब है और यह बिना किसी वैध बहाने या उचित कारण के किया गया कृत्य है।”
अदालत ने कहा कि भारती एक “अत्यधिक योग्य व्यक्ति” हैं और पार्टी प्रवक्ता के रूप में भाग ले रही हैं, इसलिए वे अपने कार्यों के बारे में अनभिज्ञता का दावा नहीं कर सकतीं। आदेश में आगे कहा गया, “इसलिए, हमारी राय में, प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध बनता है।”
पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि चल रही एफआईआर प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार, एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया गया।




