इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के सेक्टर-100 स्थित आवासीय सोसायटी लोटस बुलेवार्ड में सीवरेज ट्रीटमेंट से जुड़ी खामियों पर संज्ञान लेते हुए नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 16 जुलाई तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश 7 जुलाई को दिया गया था और रविवार को सार्वजनिक किया गया।
यह मामला लोटस बुलेवार्ड अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) की याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बिल्डर ने पूरी तरह कार्यरत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनाए बिना ही 2012 और 2016 में ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) प्राप्त कर लिए। AOA का दावा है कि चार STP की आवश्यकता थी, लेकिन उस समय केवल डेढ़ STP आंशिक रूप से निर्मित थे। निवासियों के अनुसार, इस खामी के कारण पिछले कई वर्षों से सीवरेज की गंभीर समस्याएं बनी हुई हैं।
कोर्ट ने हलफनामे में मांगी ये जानकारियां:

- OC जारी करते समय भवन उपविधियों के अनुसार कितने STP आवश्यक थे
- बिल्डर द्वारा वास्तव में कितने STP बनाए गए
- वर्तमान में STP की स्थिति क्या है
- OC को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के नाम और पदनाम
- नोएडा अथॉरिटी या किसी समाधान पेशेवर द्वारा अब तक उठाए गए सुधारात्मक कदम
न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने यह भी कहा कि हलफनामे में STP से जुड़ी सभी कमियों का स्पष्ट विवरण होना चाहिए ताकि जवाबदेही तय की जा सके।
इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए नोएडा अथॉरिटी के जल विभाग के महाप्रबंधक आर.पी. सिंह ने कहा, “हम कोर्ट के निर्देश के अनुसार विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे। STP चालू किए बिना प्राधिकरण OC जारी नहीं करता, इसलिए AOA के आरोप गलत हैं।”
गौरतलब है कि अप्रैल से नोएडा प्राधिकरण ने कई ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जिन पर गैर-क्रियाशील STP चलाने या अपशिष्ट जल को सीधे नालों में छोड़ने के आरोप हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन और डिवेलपर से प्रतिक्रिया लेने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है और अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।