इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को निर्देश दिया है कि वह NEET (UG) 2025 की परीक्षार्थी अक्षिता सिंह की OMR शीट की दोबारा जांच करे, जिन्होंने परीक्षा के दौरान गलती से गलत बुकलेट सीरीज कोड भर दिया था, जिससे उनके प्राप्तांक में भारी अंतर आ गया।
न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने 9 जुलाई 2025 को रिट-सी नं. 21098 ऑफ 2025: अक्षिता सिंह बनाम भारत संघ व अन्य मामले में यह आदेश पारित किया।
मामले की पृष्ठभूमि:

याचिकाकर्ता अक्षिता सिंह, जो अधिवक्ता सुधांशु पांडेय द्वारा प्रतिनिधित्वित थीं, ने NEET (UG) 2025 परीक्षा दी थी, लेकिन OMR शीट पर उन्होंने बुकलेट सीरीज नंबर 46 भर दिया, जबकि उन्होंने वास्तव में बुकलेट सीरीज नंबर 47 से प्रश्न हल किए थे।
याचिका में कहा गया,
“यथासंभव याचिकाकर्ता के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार, उसने अधिकतम प्रश्न हल किए और NTA द्वारा जारी अंतिम उत्तर कुंजी के मिलान के अनुसार, उसे कुल 720 में से लगभग 589 अंक मिलने चाहिए। OBC श्रेणी के लिए कटऑफ अंक (530-540) यानी 143-113 पर्सेंटाइल है।”
हालांकि, बुकलेट कोड की गड़बड़ी के कारण उन्हें केवल 41 अंक ही मिले। याचिका में OMR शीट की पुन: जांच और उनकी उम्मीदवारी पर विचार करने का अनुरोध किया गया था।
प्रतिवादियों की दलीलें:
NTA की ओर से अधिवक्ता फुजैल अहमद अंसारी ने प्रस्तुत किया कि मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि उत्तर कुंजी और OMR शीट 3 जून 2025 को अपलोड की गई थीं, और आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 5 जून 2025 थी। याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत 14 जून 2025 को उठाई।
अंसारी ने कहा,
“हस्तक्षेप की बिल्कुल कोई गुंजाइश नहीं है।”
उन्होंने तेलंगाना स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन बनाम पोटुला दुर्गा भवानी और रण विजय सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2018) 2 SCC 357 जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा,
“उम्मीदवारों द्वारा की गई त्रुटियों को नगण्य नहीं कहा जा सकता। पंजीकरण संख्या, रोल नंबर ही उम्मीदवारों की पहचान का निर्धारण करते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन को उद्धृत करते हुए उन्होंने पढ़ा,
“सहानुभूति या करुणा का उत्तरपुस्तिका की पुनर्मूल्यांकन की अनुमति देने या न देने में कोई स्थान नहीं है।”
अदालत के अवलोकन:
अदालत ने 41 अंकों और 589 अंकों के दावे के बीच असाधारण अंतर को नोट किया।
पीठ ने कहा,
“हम सराहना करते हैं कि यह अनुचित साधनों को रोकने के लिए उठाया गया कदम है। याचिकाकर्ता द्वारा बुकलेट सीरीज कोड में गलती के कारण, उसके उत्तर अंकों को उसी प्रश्नों की एक अलग श्रृंखला के अनुसार मान्यता दी गई। 41 और 589 अंकों के बीच बड़ा अंतर है।”
अदालत ने आगे कहा,
“उसकी गलती के कारण उसकी मेरिट का मूल्यांकन नहीं हो सका। हम उस संदर्भ में इस गलती को देखते हैं। इसके अलावा, उम्मीदवार केवल 20 वर्ष की है और उसने परीक्षा देने के लिए खुद को अन्य उम्मीदवारों की तरह तैयार किया था। मानव होना त्रुटिपूर्ण होना है, और यह होता है, भले ही त्रुटियों से बचने के लिए नोटिस दिए गए हों।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया,
“हमें ऐसा कुछ नहीं दिखाया गया है जिससे यह संकेत मिले कि याचिकाकर्ता की गलती जानबूझकर थी।”
सुप्रीम कोर्ट के रण विजय सिंह फैसले को स्पष्ट करते हुए अदालत ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट ने जो बातें अनुच्छेद 31 और 32 में कही हैं, वे इस मामले में लागू नहीं होतीं क्योंकि यह पुनर्मूल्यांकन का मामला नहीं है। तथ्य यह हैं कि याचिकाकर्ता के उत्तर कभी मूल्यांकनित ही नहीं हुए क्योंकि परीक्षण बुकलेट कोड का उल्लेख गलत था।”
अदालत का निर्देश:
अदालत ने निर्देश दिया,
“हम प्रतिवादी संख्या 3 से अनुरोध करते हैं कि वह याचिकाकर्ता की OMR शीट को परीक्षण बुकलेट नंबर 47 के अनुसार जांचे और अगली सुनवाई तिथि पर हमें परिणाम दे।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता के उत्तर उसकी श्रेणी के लिए निर्धारित कटऑफ से ऊपर के होते, तो अदालत उसकी उम्मीदवारी पर आगे विचार करेगी, अन्यथा याचिका को खारिज किया जाएगा।
मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई 2025 को दोपहर 2:00 बजे होगी।
- मामला: अक्षिता सिंह बनाम भारत संघ व अन्य
- मामला संख्या: रिट-सी नं. 21098 ऑफ 2025