उत्तर प्रदेश में फर्जी आर्य समाज शादियों की जांच करे सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन आर्य समाज संस्थाओं की जांच कराए जो कथित रूप से फर्जी तरीके से विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रही हैं। अदालत ने कहा कि ये संस्थाएं कई बार दूल्हा-दुल्हन की उम्र तक की पुष्टि किए बिना शादी करवा रही हैं और इनका इरादा दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें याची ने अपने खिलाफ बलात्कार और अपहरण के आरोपों को लेकर जारी समन रद्द करने की मांग की थी। याचिका सोनू उर्फ शाहनूर नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसने एक महिला से विवाह का दावा किया था जो विवाह के समय नाबालिग थी।

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि मामले की जांच एक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा, और आदेश गृह सचिव को संबोधित किया गया है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के बिहार मंत्री हत्याकांड में पूर्व विधायक को सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त समय देने से किया इनकार

मामला क्या है?

याची ने दावा किया कि उसने 14 फरवरी 2020 को प्रयागराज स्थित एक आर्य समाज मंदिर में उक्त महिला से विवाह किया था। उस समय महिला नारी निकेतन में रह रही थी और नाबालिग थी। बालिग होने के बाद वह याची के साथ रहने लगी।

हालांकि, अदालत ने कहा, “याची और पीड़िता अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं। यह दावा किया गया है कि उन्होंने प्रयागराज के आर्य समाज मंदिर में विवाह किया, लेकिन मौजूदा कानून के तहत विधिवत धर्म परिवर्तन के बिना ऐसा विवाह मान्य नहीं हो सकता।”

आर्य समाज मंदिरों की भूमिका पर सवाल

अदालत ने चिंता जताई कि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे विवाह कराए जा रहे हैं जो कानून का पालन किए बिना आर्य समाज मंदिरों द्वारा संपन्न किए जाते हैं। अदालत ने एक पूर्व आदेश का हवाला देते हुए कहा कि “राज्य में एक वर्ष में संपन्न हुई आर्य समाज शादियों की संख्या चौंकाने वाली है।”

अदालत ने यह भी कहा, “उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली, 2017 के तहत राज्य में कराए गए सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य है।”

READ ALSO  फर्जी भारतीय पासपोर्ट-आधार और वीज़ा रखने के आरोप में चीनी नागरिक की जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की

याची के वकील ने तर्क दिया कि विवाह उस समय हुआ जब लड़की नाबालिग थी, इसलिए वह स्वतः ही शून्य है। साथ ही, उन्होंने विवाह प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए अदालत को बताया कि यह समस्या राज्य में व्यापक है।

कोर्ट की टिप्पणियां और आदेश

अदालत ने कहा, “रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी और उसकी ओर से की गई कोई भी शादी वैध नहीं मानी जा सकती।”

READ ALSO  भारत में आपराधिक न्यायशास्त्र सुधारात्मक है न कि प्रतिशोधी-इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा कम की

न्यायालय ने गृह सचिव को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करें कि एक वरिष्ठ अधिकारी प्रदेश भर में आर्य समाज संस्थाओं की जांच करे, विशेष रूप से यह देखा जाए कि वे उम्र, सहमति, अंतरधार्मिक विवाह और धर्मांतरण कानूनों के पालन के साथ विवाह करवा रही हैं या नहीं।

इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles