इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति मांगी गई थी। न्यायालय ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं है। यह निर्णय न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की पीठ ने दिया, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक स्थल मुख्य रूप से प्रार्थना के लिए होते हैं और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से अक्सर सार्वजनिक शांति भंग हो सकती है।
याचिकाकर्ता पीलीभीत के मुख्तियार अहमद ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह राज्य के अधिकारियों को उनकी स्थानीय मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का निर्देश दे। हालांकि, राज्य के वकील ने इस आधार पर याचिका की स्वीकार्यता को चुनौती दी कि अहमद न तो मस्जिद के मुतवल्ली (ट्रस्टी) थे और न ही उनके पास उस पर मालिकाना हक था।
न्यायाधीशों ने इस बात पर सहमति जताई कि अहमद के पास आवश्यक अधिकार नहीं है – एक कानूनी सिद्धांत जो यह निर्धारित करता है कि किसी पक्ष को मुकदमे में भाग लेने का अधिकार है या नहीं। उन्होंने आगे बताया कि लाउडस्पीकर के प्रयोग को अधिकार नहीं माना जा सकता, विशेषकर तब जब इससे आस-पास के निवासियों के लिए परेशानी पैदा होने की संभावना हो।