इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुख्यात बिकरू नरसंहार मामले के आरोपी शिवम दुबे उर्फ दलाल की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। यह मामला जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू गांव में हुए उस हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें गैंगस्टर विकास दुबे के नेतृत्व में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शम्शेरी की पीठ ने 21 अगस्त को यह आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि आरोपी ने अदालत में झूठा हलफनामा दाखिल कर आपराधिक इतिहास को छिपाने की कोशिश की।
सरकारी वकील ने कहा कि शिवम दुबे ने हलफनामे में यह उल्लेख किया कि उसके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला लंबित है और इस प्रकरण में उसे 5 सितंबर 2023 को सजा भी सुनाई जा चुकी है। वकील ने तर्क दिया कि आरोपी इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं हो सकता, इसलिए यह स्पष्ट रूप से जानबूझकर की गई जानकारी छिपाने की कोशिश है।

2 जुलाई 2020 की रात पुलिस टीम विकास दुबे को पकड़ने के लिए बिकरू गांव पहुंची थी। वहां घात लगाकर किए गए हमले में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद विकास दुबे को 10 जुलाई 2020 को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था, जब वह उज्जैन से कानपुर लाए जाते समय भागने की कोशिश कर रहा था।
गैंगस्टर विकास दुबे का सहयोगी माने जाने वाले शिवम दुबे को घटना के बाद गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरोपी भविष्य में पर्याप्त समय बीतने के बाद पुनः आवेदन दायर कर सकता है।