इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2017 में व्यवसायी श्रवण साहू की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बाबू खान को जमानत दे दी है। अदालत ने यह राहत समानता के आधार पर दी, क्योंकि इसी मामले के सह-आरोपी अजय पटेल को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया और न्यायमूर्ति छितिज शैलेन्द्र की अवकाश पीठ ने 24 जून 2025 को यह आदेश पारित किया। बाबू खान की ओर से यह जमानत याचिका उस अपील के साथ दाखिल की गई थी, जिसमें उन्होंने अगस्त 2024 में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी है।
हाईकोर्ट ने आदेश में उल्लेख किया कि सह-आरोपी अजय पटेल को 21 अप्रैल 2025 को जमानत दी गई थी, क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ हत्या की साजिश में शामिल होने का प्रथम दृष्टया कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका था। इसी आधार पर बाबू खान को भी जमानत का लाभ दिया गया।

गौरतलब है कि बाबू खान को सीबीआई की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और ₹1.10 लाख का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में कुल आठ लोगों को दोषी ठहराया गया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की गई यह हत्या अपने क्रूर घटनाक्रम और लंबी कानूनी प्रक्रिया के चलते चर्चा में रही।
मामले की शुरुआत 16 अक्टूबर 2013 को हुई थी, जब श्रवण साहू के बेटे आयुष की लखनऊ के हज़रतगंज इलाके में मुख्य आरोपी अकील अंसारी से एक बार में कहासुनी हो गई थी। इस झगड़े के बाद अकील और उसके साथियों ने आयुष की हत्या कर दी थी। अकील को इस हत्या के लिए बाद में आजीवन कारावास की सजा हुई।
अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए श्रवण साहू ने अदालती कार्रवाई में अहम गवाही दी थी। इसी वजह से अकील पर कड़ी सजा होने की आशंका बढ़ गई थी और आरोप है कि उसने श्रवण की भी हत्या की साजिश रची।
1 फरवरी 2017 को श्रवण साहू की लखनऊ के बड़ा चौराहा, डालमंडी स्थित अपने तेल के दुकान पर बैठे हुए दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उन्हें कई गोलियां मारी गईं और बाद में ट्रॉमा सेंटर में उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना के बाद श्रवण के दूसरे बेटे सुनील साहू ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें अकील अंसारी को दोनों हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया गया। इसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। जांच एजेंसी ने मुकदमे के दौरान 51 गवाहों के बयान लिए और 100 से अधिक दस्तावेज पेश किए।
बाबू खान की दोषसिद्धि के विरुद्ध दायर अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है।